उत्तराखंड में अभी कोरोना का कहर पूरी तरह थमा भी नहीं था कि ब्लैक फंगस ने कहर मचाना शुरू कर दिया। ब्लैक फंगस का कहर जारी ही था कि देहरादून के अस्पताल में अब कोरोना से ठीक हुए मरीजों में एस्परजिलस के मामले सामने आ रहे है। दून अस्पताल में एस्परजिलस के केस सामने आने से हड़कंप मच गया है। बता दें कि इस बीमारी के 20 मरीज दून के अलग-अलग अस्पतालों में एडमिट हैं, जिसके बाद लोग इसे नया वेरिएंट मान रहे है, जबकि मेडिकल फील्ड में ये बिल्कुल नया नहीं है
आपको बता दें कि ब्लैक फंगस के संदिग्धों के बीच ‘एस्परजिलस’ फंगस का मरीज मिलने के बाद अब इसी फंगस की चर्चा है। यह मीडिया और सोशल मीडिया में ट्रेंड कर रहा है। इसे व्हाइट फंगस का ही एक रूप माना जाता है। यह ब्लैक फंगस से कुछ कम खतरनाक मगर समान लक्षणों वाला होता है। इसका इलाज भी अलग है। ब्लैक फंगस के रोगियों को दिए जाने वाले इंजेक्शन आदि राहत नहीं दे पाते हैं।
एस्परजिलस फंगस आम फंगस की तरह है। इस फंगस का कोरोना से कोई कनेक्शन नहीं है, न ही ये फंगस नया है। इस फंगस के ज्यादा चांस दमा के मरीजों में होते हैं। एक्सपर्ट ये भी मानते हैं कि अगर दमा का हल्का सा भी इन्फेक्शन बॉडी में है तो फंगस जल्दी पकड़ता है. कोविड 19 के नोडल ऑफिसर डॉक्टर अनुराग अग्रवाल का मानना है कि जिन कोविड मरीजों को दमा की शिकायत रही हो उनको ये हो सकता है। बाकी ये फंगस नया बिल्कुल नहीं है. इससे किसी को घबराने की जरूरत नहीं है। फंगस के तकरीबन 64 से ज्यादा वेरिएंट बताए जाते हैं। ऐसे में हर फंगस को कोरोना वायरस से जोडऩा डॉक्टर बिल्कुल सही नहीं मान रहे. इसलिए उनका साफ कहना है कि आप भी डरने के बजाय अपने खान पान पर सही तरह से ध्यान दिया जाए।