उत्तराखंड में सरकार के नियमो के खिलाफ प्रदेश के शिक्षकों में रोष देखने को मिल रहा है। स्थानांतरण एक्ट लागू होने के बावजूद लगातार दूसरे वर्ष कोरोना को कारण बताकर सत्र शून्य होने की घोषणा के बाद शिक्षक तबादला कानून के बीमार होने की बाते कर रहे है। सोशल मीडिया पर जमकर सरकार के खिलाफ पोस्ट की जा रही है। इतना ही नहीं राज्य के शिक्षक नेता ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है जो खूब वायरल हो रहा है….
शिक्षक ने पत्र में लिखा है।
सेवा में ,
मुख्यमंत्री ,
उत्तराखंड सरकार ,देहरादून
विषय – तबादला कानून के गंभीर बीमार होने पर संवेदना सन्देश
महोदय ,
यह जान कर अत्यंत ही दुःख हुआ है कि राज्य का लोकप्रिय तबादला कानून अपने जन्म से ही किसी अज्ञात गंभीर रोग से ग्रस्त हो कर अब मृत्युशैय्या पर है ।, मैं तबादला कानून के स्वास्थ्य के लिए भगवान बदरीनाथ सहित देवभूमि के सभी देवी-देवताओं से प्रार्थना करता विकट स्थिति में आपकी लोकप्रिय सरकार को विवेक बनाएं रखने की शक्ति दे।
सादर अभिवादन सहित,
आपका एक विनम सेवक
मुकेश प्रसाद बहगणा
राजकीय इंटर पौड़ी गढ़वाल
कॉलेज मुण्डनेश्वर.पौड़ी गढ़वाल
गौरतलब है कि उत्तराखंड की सियासत के केंद्र में तबादला बड़ा मुद्दा रहा है। इसी की कोख से स्थानांतरण एक्ट-2017 ने जन्म लिया। एक्ट बनने के बाद से ज्यादातर साल या सत्र तबादलों के लिहाज से शून्य गुजर रहे हैं। कोई भी शिक्षक दुर्गम में रहना नहीं चाहता। एक बार नौकरी हाथ लगते ही, दुर्गम से सुगम में जाने की होड़ लग जाती है। इसलिए हर साल सबसे ज्यादा मारामारी तबादलों को लेकर रहती है। सुगम में तैनाती की हालत ये है कि एक अनार सौ बीमार। मगर पीछे कोई नहीं रहना चाहता। तबादला सत्र शून्य घोषित होते ही सैकड़ों अरमानों की हालत आंसुओं में बहने सरीखी हो चली है। पिछले सत्र में भी शिक्षकों को मन मसोस के रहना पड़ा था। बीमार और तकदीर के हाथों लाचार शिक्षकों को पिछले साल तबादलों में ही राहत देने का भरोसा बंधाया गया था। इसलिए शिक्षक संगठनों ने भौंहें तानकर बांहें चढ़ा ली हैं। हालांकि अब देखना होगा कि शिक्षक संघ के शिक्षक मुकेश प्रसाद बहुगुणा के इस पत्र का सरकार जवाब देती भी है या नहीं।