जिस साँप को 50 साल पहले विलुप्त प्रजाति किया था घोषित, वो उत्तराखंड के कॉर्बेट पार्क की रेंज में दिखा

उत्तराखंड में कार्बेट नेशनल पार्क की कालागढ़ रेंज में विलुप्त हो चुके इंडियन एग ईटर सांप को देखा गया है। बता दें कि इस सांप को करीब 50 साल पहले विलुप्त प्रजाति घोषित कर दिया गया था।जिसका कल कार्बेट नेशनल पार्क की कालागढ़ रेंज से रेस्क्यू किया गया। दुर्लभ सांप मिलने से वन विभाग भी खासा उत्साहित है। अधिकारियों ने उक्त सांप को जंगल में छुड़वाकर उसकी निगरानी के निर्देश दिए हैं। बता दें कि ये सांप सिर्प चिड़िया के अंड़े खाता है।

बता दें कि कालागढ़ की एक आवासीय कालोनी में एक घर में एक सांप दिखाई दिया। जिससे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में वन विभाग की टीम को सूचना दी गई। जिसके बाद मौके पर पहुंची रेस्क्यू टीम ने सांप का रेस्क्यू किया। रेस्क्यू में सामने आया कि ये सांप कोई मामूली सांप नहीं बल्कि इंडियन एग ईटर सांप है। जो आज से 50 साल पहले विलुप्त घोषित हो चुका था।यह करीब आधा मीटर लंबा था। जिसके सिर पर नारंगी लकीरें और पीठ भूरे रंग की थी।

उप प्रभागीय वनाधिकारी कुंदन सिंह खाती और कार्बेट के वार्डन आरके तिवारी ने सांप का निरिक्षण कर बताया कि यह सांप  वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत श्रेणी-एक में आता है। इंडियन एग ईटर ज्यादातर पेड़ों पर रहना पसंद करता है और पक्षियों के अंडे खाता है। सामान्यत: यह सांप ऊष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में ही पाया जाता है। यह निशाचर अधिकतम एक मीटर तक ही लंबा होता है। वन विभाग के अधिकारियों ने अंदेशा जताया है कि वन क्षेत्र में इस प्रजाति के और भी सांप पाए जा सकते हैं। एक बार में यह सांप कम से कम 40 से 50 अंडे देता है। एशिया में केवल यही सांप, चिड़िया के अंडे खाने वाला है।जिसका आहार सिर्फ अंडे हैं. अंडों के अलावा यह कुछ नहीं खाता ह। इस वजह से इसे एग ईटर कहा जाता है।

 

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