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विकास से कोसों दूर उत्तराखंड का ये गांव, न बिजली, न शिक्षा,न अस्पताल, न राशन की व्यवस्था….

उत्तराखंड में जहां विकास के दावें किए जाते है वहीं नेपाल सीमा के करीब का खिरद्वारी तोक आदिम जनजाति वन रावत बहुल होने की वजह से खूब चर्चा में रहता है । पर यह गांव पिछड़ेपन और विकास से दूरी के लिए जाना जाता है ।

बता दें कि टनकपुर पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित चल्थी से करीब 14 किमी पैदल दूरी पर स्थित खिरद्वारी में न बिजली का उजाला है और न ही शिक्षा का । यहां आठवीं से आगे की पढ़ाई के लिए भी पांच किमी की दूर दौड़ लगानी पड़ती है । अलबत्ता सौर ऊर्जा के जरिये बिजली की भरपाई करने की कोशिश की गई है ।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि सड़क से दूरी ने विकास को भी गांव से दूर कर दिया है । सेहत के लिए अस्पताल की कोई व्यवस्था पानी है , न बर्तन और नहीं अन्य सुविधाएं नहीं है । नतीजा यह कि अकेला आदिम गांव बुनियादी सुविधा को तरस रहा है ।

पोथ ग्राम पंचायत के प्रधान सचिन कहते हैं कि हाईस्कूल नहीं होने से यहां का एक भी शख्स आठवीं से आगे नहीं पढ़ सका है। इतना ही नहीं बीमार या गर्भवती महिलाएं इलाज के लिए 17 किमी पैदल चलकर  प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिए मजबूर है ।

यहां तक कि एक एएनएम केंद्र भी इस गांव में नहीं है । सस्ते गल्ले की दुकान से राशन लाने के लिए भी 17 किमी का पैदल फासला तय करना उनकी नियति है । या ग्रामीण जीत सिंह कहते हैं कि गेहूं के पीसाने के लिए भी वन रावत तीन चल्थी किमी की दौड़ लगाते हैं