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कैप्ट’न अनुज नैय’र: जिन्होंने 25 साल की उम्र में भारत माँ के लिए न्यो”छा’वर किए अपने प्रा”ण

“मै ज’ला हुआ राख नही, अमर दीप हूं
जो मिट गया वत’न पर मै वो शहि’द हूं”

कारगि’ल यु”द्ध के कई हीरो थे, आज कारगिल यु”द्ध को पूरे 21 साल हो चुके हैं कारगि’ल यु”द्ध की सालगिरह पर हम सभी उन सभी जांबाज सैनि”कों को याद करते हैं जिन्होंने यु”द्ध में अपनी भारत मां के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए ऐसे ही बहा”दूर जवान अनुज नैयर कि बात करते हैं जिन्होंने यु”द्ध में अपनी जा”न गवा’ई।

25 साल के अनुज अपनी बचपन की दोस्त से सगाई के लिए घर जाने वाले थे, तभी यु’द्ध छिड़ गया और उन्हें मोर्चे पर कारगिल जाना पड़ा। टाइगर हिल के पश्चिम में प्वाइंट 4875 के एक हिस्से पिंपल कॉम्प्लेक्स को खाली कराने की जिम्मेदारी 17 जाट रेजिमेंट के कैप्टन अनुज नैय्यर को दी गई। प्वाइंट 4875 की यह पोस्ट 6000 फुट की ऊंचाई पर थी। इसे जीतना बेहद जरूरी था, ताकि आगे की राह को आसान बनाया जा सके। एक दल के साथ कैप्टन नैय्यर ने 6 जुलाई की रात को चढ़ाई शुरू की। कदम-कदम पर मौत से सामना होना तय था। लेकिन कैप्टन नैय्यर साथियों के साथ आगे बढ़ते रहे।

दुश्म’नों से लोहा मनवाकर माने अनुज नैयर।

कैप्टन नैय्यर की सोच थी कि किसी भी तरह से इस पोस्ट को खाली करवाना है, जिसके लिए वह साथियों के साथ दबे पांव आगे बढ़ रहे थे। इसी बीच दुश्मन को इनके दस्तक देने की आहट मिल गई और उसने अनुज की टीम पर फायर शुरू कर दिया। कैप्टन ने साथियों के साथ मिलकर दुश्मन को करारा जवाब दिया और अकेले ही पाकिस्तान के नौ घुसपैठियों को मार गिराया। अनुज और उनके साथियों ने बाकी पाकिस्तानी घुसपैठियों को पीछे खदेड़ दिया। पिंपल 2 पर 17 जाट ने लगभग विजय प्राप्त कर ली थी। घायल हो चुके कैप्टन अनुज नैय्यर ने मशीनगन से बंकर को भी तबाह कर दिया था।

लेकिन विजय का तिरंगा फहराने के लिए वह आगे बढ़ ही रहे थे कि दुश्मन का एक ग्रेनेड सीधा उनके ऊपर पड़ा और वह शहीद हो गए। इस बीच पाकिस्तानी घुसपैठियों ने वापस आकर प्वाइंट 4875 पर कब्जा करना चाहा, लेकिन पीछे से दूसरी टीम के साथ कैप्टन बत्रा पहुंच चुके थे। उन्होंने घुसपैठियों का काम तमाम कर दिया। लेकिन तिरंगा फहराने से पहले वह भी दुश्मन की गोलियों की बौछार से शहीद हो गए। हालांकि 4875 पर 7 जुलाई को ही झंडा फहरा दिया गया।

यह अंगूठी मेरे घर भेज देना।

“वतन से मोहब्बत इस तरह निभा गए
मोहब्बत के दिन ,अपनी जान लुटा गए”

बताते हैं कि जब कैप्टन अनुज नैय्यर जंग पर जा रहे थे, तो उन्होंने अपने सीनियर को एक अंगूठी दी और कहा था कि ये अंगूठी उनकी होने वाली मंगेतर को दे दें। सीनियर ने कहा कि तुम खुद देना, जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि मैं जंग पर जा रहा हूं वापस लौटूंगा या नहीं। लौट आया तो खुद दे दूंगा वरना आप इसे मेरे घर भेज देना और मेरा संदेश दे देना। दुर्भाग्यवश इस जंग से अनुज वापस नहीं लौट सके। लेकिन वह पूरे देश के लिए मिसाल हैं। कैप्टन अनुज नैय्यर का पार्थिव शरीर जब तिरंगे में लिपटा हुआ दिल्ली पहुंचा तो परिवार के साथ एक लड़की भी फूट-फूटकर रो रही थी। वह सिमरन थी, जिससे सगाई करने अनुज आने वाले थे।
अनुज को महावीर चक्र से नवाजा गया।

इसी बीच दुश्मनों का आरपीजी यानी रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड सीधे कैप्टन अनुज नायर को आ लगा और वो शहीद हो गए। कैप्टन अनुज नायर को उनकी इस बहादुरी के लिए महावीर चक्र से नवाजा गया। एक मां के लिए इससे बड़ा ज़ख्म और क्या हो सकता है कि जिस बेटे के सिर पर वो कुछ ही दिनों बाद शादी का सेहरा सजने वाला था, वो अब दुनिया में नहीं रहा।