कोरोना महामारी ने न सिर्फ अपनों को अपनों से दूर किया बल्कि लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है। बेरोजगारी की दर छः गुना बढ़ गई है। लोगों के व्यापार ठप हो गए है। कई लोगों ने अपना व्यवसाय तक बदल दिया लेकिन अभी भी खाने के लाले पड़े हैं। ऐसे ही एक देहरादून के व्यवसायी प्रवेश छेत्री हैं। उन्होंने जिस स्कूल में पढ़ाई की थी अपने उज्जवल भविष्य के सपने संजोय थे। आज व्यापार ठप होने के कारण वो उसी स्कूल में सब्जी बेचने को मजबूर है।
कोरोना काल में प्रवेश छेत्री का टेंट का व्यवसाय ठप हो गया है। रोजी रोटी के लाले हो गए परिवार के पालन-पोषण के लिए प्रवेश को सब्जी का ठेला लगाना पड़ा। वह भी उसी स्कूल के बाहर जहां से उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई की । पिछले साल लॉकडाउन के चलते उनकी एक अस्पताल में सिक्योरिटी की नौकरी चली गयी, जिसके बाद उन्होंने लोन लेकर टेंट हाउस खोला। लेकिन लॉकडाउन के बाद वह भी नहीं चल पाया। अब न तो वो लोन की किस्त भर पा रहे हैं और ना ही सब्जी का ठेला लगाने से उनकी रोजी-रोटी चल रही है।
प्रवेश बताते हैं कि साल 2020 के अंत में स्थितियां सामान्य होने के बाद उन्हें उम्मीद थी कि एक बार फिर टेंट का काम पटरी पर आ जाएगा। लेकिन इस साल मार्च आते ही कोरोना की दूसरी लहर ने उन्हें पूरी तरह बर्बाद कर दिया। ऐसे में अब वह सब्जियां बेचकर जैसे-तैसे अपना घर चला रहे हैं। प्रवेश की तरह ही कई लोगों के सामने रोजी रोटी के लाले पड़ गए है। उनके सामने भी कई मुसीबते है।