भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव इस साल 30 अगस्त को मनाया जाएगा। जन्माष्टमी पर इस बार ज्योतिष के अनुसार इस पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लगभग उन्हीं तिथि नक्षत्र आदि तत्त्वों की पुनरावृत्ति हो रही है। जो आज से लगभग पांच हजार पांच सौ वर्ष पूर्व (5500) द्वापर युग में श्रीकृष्ण के जन्म के समय थी।
हालांकि इस बार के अलावा पहले भी समयान्तराल में ऐसा संयोग बनता रहा है, लेकिन बहुत काम बार ही ऐसा अद्धभुत योग बनता है,जिस योग में जगतपिता श्रीकृष्ण के रूप में धरातल में अवतरित हुए। इसे संयोग कहें या सौभाग्य कुछ भी कहा जा सकता है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन अति दुर्लभ योग की युति बन रही है, जिसे ‘जयन्ति’ योग की उपमा दी गयी है। जो अत्यन्त शुभ और पुण्यदायी मानी जाती है।
इस पावन दिन सम्पूर्ण इच्छाओं की पूर्ति के लिए,भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करें। यदि आप आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं,तो कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण की बालरूप मूर्ति को चांदी की बांसुरी अर्पित करें,और घर में चांदी की गाय रखें। यदि आप सन्तान की इच्छा रखतें हैं, तो भी कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण की मूर्ति को चांदी की मूर्ति अर्पित करें। यदि आपको व्यापर में अपेक्षित उन्नति नही मिल रही है, तो जन्माष्टमी की रात 12 बजे के बाद भगवान कृष्ण की मूर्ति का केशर मिश्रित दूध से अभिषेक करें।
यदि आप दरिद्रता से मुक्ति चाहते हैं, तो कृष्ण जन्माष्टमी के दिन दक्षणावर्ती शंख में में जल भरकर भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करें। यदि आप भगवान कृष्ण को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूजनोपरान्त भगवान को गाय के दूध की खीर का भोग अर्पित करे।