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दिवाली से पहले उल्लू गोद ले रहे हैं लोग

देहरादून चिड़ियाघर में गुलदार, एमू, मगरमच्छ, हिरण और मोर जैसे कई जानवर हैं, फिर भी आजकल लोग उल्लू प्राप्त करने में अधिक रुचि दिखा रहे हैं, स्पष्टीकरण जानिए

सनातन धर्म में, पंख वाले जानवरों को पुराने अवसरों के बाद से प्रकृति का वाहक माना जाता है। ऐसा ही एक उड़ने वाला जीव एक उल्लू है। जो कि मां लक्ष्मी का वाहन है। इसी तरह उन्हें साइन अपशग की योग्यता के रूप में देखा जाता है। इस तथ्य के बावजूद कि विज्ञान में उनका कोई आधार नहीं है, इन चीजों के बारे में नियमित रूप से सोचा जाता है।

आज भी लोग पुरातन काल से चली आ रहीं इन बातों पर पूरा विश्‍वास रखते हैं और इन्‍हें फॉलो करने की भी कोशिश करते हैं। वैसे तो लोग उल्लू का घर के ऊपर बैठना अपशकुन मानते हैं, लेकिन दिवाली के दिन उल्लू की पूजा का विशेष महत्व है। वन्यजीव अधिनियम के चलते अब उल्लू ना तो पकड़े जा सकते हैं और ना ही पाले, ऐसे में लोगों ने इनकी सेवा के लिए एक अलग तरीका अपनाया है। लोग देहरादून के चिड़ियाघर में रह रहे उल्लू को गोद ले रहे हैं। दरअसल ये लोग इन उल्लू का खर्चा उठाने में इंट्रस्ट दिखा रहे हैं। देहरादून के चिड़ियाघर में कई वन्यजीव हैं। इनका खर्च वहन करने के लिए इन्हें गोद दिया जा रहा है। यहां कोई भी किसी भी वन्यजीव को गोद लेकर उसका खर्च उठा सकता है। लेकिन इन दिनों लोग दूसरे जीवों की बजाय उल्लू को गोद लेने में खासी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

चिड़ियाघर में 12 उल्लू हैं। पिछले कुछ ही दिनों में इन्हें गोद लेने के लिए 18 आवेदन मिल चुके हैं। चिड़ियाघर के अधिकारी बताते हैं कि दूसरे जीवों के लिए इतने आवेदन नहीं मिल रहे। दिवाली से पहले लोग मां लक्ष्मी की कृपा हासिल करना चाहते हैं। यही वजह है कि लोग उल्लू को गोद लेने के लिए आगे आ रहे है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार उल्लू मां लक्ष्मी का वाहन है। उन्हें उलूक वाहिनी कहा जाता है। जीवों को गोद लेने की प्रक्रिया क्या है, ये भी बताते हैं। एक उल्लू को गोद लेने के लिए सालाना 5 हजार रुपये जमा कराने होते हैं। जो लोग उल्लू को गोद लेते हैं उन्हें प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। साथ ही उल्लू के बाड़े के बाहर उनका नाम पट्टिका पर लिखा जाता है। चिड़ियाघर में गुलदार, घड़ियाल, हिरण, मगरमच्छ, गरुड़, कछुवा, ऑस्ट्रिच, ईमू और मोर जैसे जीव भी गोद लिए जा सकते हैं। आवेदक को इसके लिए पांच हजार रुपये से 25 हजार रुपये तक खर्च करने होंगे। इन दिनों लोग दूसरे जीवों की अपेक्षा उल्लू को गोद लेने में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं।