पिथौरागढ़ः पर्यटन के मानचित्र पर मुनस्यारी का नाम परिचय का मोहताज नहीं है. यहां साल भर देश-दुनिया के सैलानी आते रहते हैं लेकिन अब यहां आने वाले सैलानियों के लिए पंचाचूली की गगनचुंबी चोटियों के साथ ही ट्यूलिप गार्डन नया आकर्षण और प्रकृतिप्रेमियों के लिए नया सुकून होगा. वन विभाग ने यहां आधा दर्जन प्रजाति के ट्यूलिप उगाने में कामयाबी की इमारत कई रंगों से लिखी है. इन फूलों की तस्वीरों से ही मन प्रफुल्लित हो जाता है, तो इनकी सुगंध के बीच इनकी गोद में होने का रोमांच क्या होगा!
हिमालय से घिरे मुनस्यारी में रंग बिरंगे ट्यूलिप देखने वालों को पहली ही नजर में अपनी ओर खींच रहे हैं. यहां के लोगों, बगीचे के कर्मचारियों और विभाग को पूरी उम्मीद है कि कोरोना का प्रकोप खत्म होने के बाद यहां पर्यटकों का आना जाना पहले की तरह होगा और उनके लिए ये गार्डन बेहतरीन आकर्षण होंगे. साथ ही, डीएफओ इस गार्डन की और भी उपयोगिताएं बताते हैं।
डीएफओ विनय भार्गव ने मुनस्यारी में ट्यूलिप गार्डन बनाने का प्लान तैयार किया. भार्गव का कहना है कि ट्यूलिप गार्डन से इस इलाके के टूरिज्म पर चार चांद तो लगेंगे ही, साथ ही स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे. भार्गव कहते हैं कि 9 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई से मुनस्यारी में मौसम काफी ठंडा रहता है और ट्यूलिप के लिए यह मौसम अनुकूल होता है।
ट्यूलिप गार्डन के मनमोहक नजारों को देखते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी सोशल मीडिया पर लिखा कि पिथौरागढ़ दौरे के दौरान डीएफओ विनय भार्गव और उनकी टीम से 9 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर बनाए गए ट्यूलिप गार्डन के बारे में जानने को मिला. उनकी टीम ने मौसम, ऊंचाई और अन्य पैमानों के अनुकूल कई प्रयोग किए, जिसमें उन्हें अपेक्षित सफलता मिली।
गौरतलब है कि जिस 30 हेक्टेयर की जगह पर ट्यूलिप गार्डन तैयार किया गया है, उसे अनुपयोगी या बंजर भूमि माना जाता था. यही नहीं, इस गार्डन में कुमाऊं प्रजाति के अलावा हॉलैंड ट्यूलिप प्रजाति के पौधे भी लगाए गए हैं. आपको यह भी बता दें कि मुनस्यारी में सफलता के मद्देनज़र वन विभाग पिथौरागढ़ के चंडाक क्षेत्र में भी 30 हेक्टेयर में ट्यूलिप लैंडस्केप का प्लान बना रहा है. चंडाक में ट्यूलिप लैंडस्केप का काम 3 चरणों में किया जाएगा.