जलवायु परिवर्तन से न सिर्फ पृथ्वी बल्कि हर बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक हर एक इससे प्रभावित है। बच्चों की पीड़ा को देखते हुए हरिद्वार निवासी पर्यावरण कार्यकर्ता रिद्धिमा पांडे ने संयुक्त राष्ट्र संघ की बाल अधिकार समिति के समक्ष जलवायु परिवर्तन के कारण बच्चों पर पड़ रहे असर का मुद्दा उठाया । बता दें कि रिद्धिमा महज पांच साल की छोटी सी उम्र से पर्यावरण की अलख जगा रही है।
वर्चुअल माध्यम से हुई इस सुनवाई में रिद्धिमा पांडे ने कहा कि सरकारें अपनी पैसों की भूख के लिए प्रकृति को बर्बाद करने पर तुली हुई है । सरकारों के इस रुख के कारण दुनिया के करोड़ों बच्चों पर असर पड़ रहा है । लगातार बढ़ते प्रदूषण और इसके दुष्प्रभाव से मासूम बचपन को बचाने के लिए दुनियाभर के 16 बच्चों ने संयुक्त राष्ट्र संघकी समिति में 2019 में आवाज उठाई थी इसमें एशिया रीजन से हरिद्वार की पर्यावरण एक्टिविस्ट रिद्धिमा पांडे ने बच्चों की पीड़ा और खतरे से ज्यूरी को अवगत कराया था । यह पहला मौका है जब इस समिति ने याचिकाकर्ता के वकीलों के अलावा याचिकाकर्ता बच्चों से वर्चुअल सुनवाई की है।
संयुक्त राष्ट्र समिति ने वर्चुअल माध्यम से जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंतित पांच देशों के 16 बच्चों की शिकायतें सुनीं। इन 16 बच्चों में हरिद्वार की रिद्धिमा पांडे भी शामिल रहीं। यह पहला मौका है जब समिति ने याचिका कर्ताओं को अपने सम्मुख विचार रखने का मौका दिया।दुनियाभर में बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए पांच देशों (अर्जेंटीना, ब्राजील, फ्रांस, तुर्की और जर्मनी) के विरुद्ध 2019 में विभिन्न देशों के 16 बच्चों ने संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समिति के पास शिकायत दर्ज कराई थी।
गौरतलब है कि 14 वर्षीय रिद्धिमा पांडे महज पांच साल की उम्र से पर्यावरण की अलख जा रही हैं। रिद्धिमा का नाम बीबीसी की ओर से जारी दुनिया की सौ प्रेरक एवं प्रभावशाली महिलाओं की सूची में भी शामिल है। खास यह कि ‘वूमेन आफ 2020’ की सूची में भारत से जिन तीन महिलाओं को स्थान मिला, उनमें रिद्धिमा सबसे कम उम्र की थीं।