मौसम विभाग ने जिसकी आशंका जताई थी वही हुआ। प्रदेश में मौसम ने एक बार फिर से करवट बदल ली। बीती रात प्रदेश के कई क्षेत्रों में बारिश हुई। उच्च हिमालयी क्षेत्रों ने बर्फ की चादर ओढ़ ली है। साल 2020 के आखिरी हफ्ते में पहाड़ों की रानी मसूरी और धनोल्टी में भी मौसम की पहली बर्फबारी हुई। देहरादून समेत कई इलाकों में अब भी बारिश का दौर जारी है। अल्मोड़ा-चंपावत में तापमान लुढ़क कर शून्य पर पहुंच गया है। मौसम विभाग ने 28 दिसंबर को बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई थी। मौसम विभाग का अनुमान सही साबित हुआ और देर रात गढ़वाल के ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी होने लगी। सुबह जब मसूरी और धनोल्टी निवासियों की नींद खुली तो हर तरफ बर्फ ही बर्फ नजर आई।
मसूरी और धनोल्टी में इस मौसम में पहली बार बर्फबारी हुई है। दूसरे पर्वतीय इलाकों से भी बर्फबारी की तस्वीरें आई हैं। बर्फबारी देख पर्यटकों के चेहरे खिले हुए हैं, लेकिन स्थानीय लोग परेशान हैं। उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री हाईवे पर राडी और ओरक्षा बैंड क्षेत्र में बर्फबारी की वजह से वाहनों की आवाजाही में परेशानी हो रही है।
बाहर बर्फ है और इस कारण से ट्रेनों के खिसकने का डर है। वाहनों की गति कम हो गई है, जिससे ग्रिडलॉक के मुद्दे को बढ़ावा मिला है। मौसम विभाग के अनुसार, जलवायु निम्नलिखित नहीं कई दिनों में परीक्षण कर सकती है। सोमवार को ढलानों में भारी बर्फबारी सामान्य है।
निचले प्रदेशों में मंदी मुद्दों का निर्माण करेगी। ओले इसी तरह से गिरावट के साथ गिर सकता है। अब तक, बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब सहित उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हुई है। इस अवधि में कोल्ड-डे की स्थिति समान रूप से हो सकती है। परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, मौसम विभाग ने एक पीली सावधानी बरती है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, 31 दिसंबर तक बर्फबारी से कोई नुकसान नहीं होगा।
राज्य में पश्चिमी असंतुलित प्रभाव लागू किया गया है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन देखा जाएगा। मौसम विभाग ने सभी क्षेत्रों को आगाह किया है कि बर्फबारी की वजह से ढलान वाले इलाकों में सड़कों को बाधित किया जा सकता है, इसलिए पास के संगठन को परिस्थितियों का प्रबंधन करने के लिए महत्वपूर्ण व्यवस्था करनी चाहिए।