लोहा’घाट के सौंदर्य का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक बार नैनीताल के खोज’कर्ता और चीनी व्यापारी पी बैरोन जब यहां आए थे तो उन्होंने कहा था, ‘कश्मीर क्यों जाया जाए अगर इस दुनिया में कहीं स्वर्ग है तो वह यहां लोहा’घाट में है कहते हैं कि अगर खूबसूरती को देखना है और प्रकृति को करीब से देखना है तो उत्तराखंड सबसे अच्छी जगह है।
उत्तराखंड टूरिस्ट के लिए बेस्ट प्लेस है। नवविवाहित प्रेमी जोड़े और एडवेंचरस प्रेमी उत्तराखंड घूमने आते हैं पर टूरिस्टो दिमाग में घूमने के लिए नैनीताल,चौपाल, ओली, फूलों की घाटी आदि जगह ही आते हैं। परंतु उत्तराखंड के कई ऐसे गुप्त जगह है जो कि टूरिस्टो से अछूती है इन टूरिज्म जगहों के बारे में कम ही पर्यटकों को ज्ञान है परंतु अन्य स्थानों की तरह ही यह भी अपने अंदर बहुत ही खूबसूरती को समेटे हुए हैं उत्तराखंड की एक ऐसी ही जगह है लोहाघाट जिसे अखंड का कश्मीर कहा जाता है एक चीनी व्यापारी ने तो इसे स्वर्ग की संज्ञा भी दी थी असली स्वर्ग लोहघाट में है लोहाघाट बेशक फेमस टूरिज्म प्लेस ना हो परंतु आप यहां जा सकते हैं लोहाघाट उत्तराखंड के बहुत खूबसूरत जगहों में से एक है
1706 मीटर की ऊंचाई पर, लोहाघाट 62 किलोमीटर पिथोरागढ़ से टनकपुर के रास्ते पर और चंपावत जिला मुख्यालय से 14 किमी दूर है। लोहाघाट लोहवाती नदी के किनारे स्थित है तथा ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व का केंद्र है। 1841 में, इतनी दूर यात्री बैरोन को यह आश्चर्य होता था कि भारत सरकार इसे अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में क्यों नहीं विकसित कर रही थी। गर्मियों के मौसम में लोहाघाट बुरांस के फूलों से भरा हुआ रहता है।
ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यताएं बनाती हैं पॉप्युलर
लोहाघाट उत्तराखंड के चंपावत जिले में लोहावती नदी के किनारे स्थित है और यह मंदिरों के लिए खासा मशहूर है। इस जगह से जुड़ी कुछ धार्मिक और ऐतिहासिक मान्यताएं हैं जो इसे टूरिस्टों के बीच आकर्षण का केंद्र बनाती हैं। खास बात यह है कि लोहाघाट के आसपास कई पॉप्युलर टूरिस्ट स्पॉट्स हैं, जैसे कि श्यामला ताल, देवीधुरा, गुरुद्वारा रीठा साहिब, एबॉट माउंट, वाणासुर का किला, मायावती (अद्वैत) आश्रम और फोर्टी विलेज।
लोहाघाट के आकर्षण
अद्वैत आश्रम
यहां के मुख्य आकर्षणों में से एक है अद्वैत आश्रम, जोकि मायावती में स्थित है। यह रामकृष्ठ मठ शाखा की एक ब्रांच है, जोकि देवदार, बुरांश, चीड़ और बांज के खूबसूरत पेड़ों से घिरी है और यहां आने वाले लोगों को असीम आनंद और खूबसूरती के दर्शन कराती है। इस आश्रम की स्थापना स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा से उनके शिष्य स्वामी स्वरूपानंद और एक अंग्रेज़ी शिष्य ने 1899 में की थी। इस आश्रम में स्वामी विवेकानंद भी कुछ दिन ठहरे थे।
बाणासुर का किला
लोहाघाट का एक आकर्षण यह भी है। बाणासुर का किला यहां से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। माना जाता है कि यह वही जगह है जहां भगवान श्रीकृष्ण ने बाणासुर नाम के राक्षस का वध किया था। इस किले की एक तरफ हिमालय की ऊंची-ऊंची चोटियां दिखती हैं तो दूसरी तरफ अद्वैत आश्रम और अन्य पर्यटन स्थल।
एबॉट माउंट
इस जगह की खोज आजादी से पूर्ण जॉन एबॉट नाम के एक अंग्रेज ने की थी और इसीलिए इस जगह का नाम एबॉट माउंट पड़ा। 7 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थिक एबॉट से आप हिमालय की बर्फ से ढकी पहाड़ियों का आनंददायक नज़ारा देख सकते हैं। यहां करीब 13 कॉटेज हैं, जिनमें रहने का रोमांच अलग ही होता है।
कैसे पहुंचें लोहाघाट
हवाई यात्रा के ज़रिए: लोहाघाट का सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट पंतनगर एयरपोर्ट है जोकि शहर से 182 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लोहाघाट जाने के लिए पंतनगर से कैब या फिर टैक्सी किराए पर ली जा सकती है
सड़क मार्ग के ज़रिए:
अगर आप सड़क मार्ग के ज़रिए जाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपको ज़्यादा दिक्कतों को सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि लोहाघाट अन्य जगहों से सड़कों के ज़रिए कनेक्टेड है। यहां के लिए दिल्ली के आनंद विहार बस स्टैंड से भी बसें जाती हैं जोकि आपको या तो लोहाघाट या फिर टनकपुर उतारेंगी।
रेल मार्ग के ज़रिए: लोहाघाट का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन टनकपुर है, जोकि लोहाघाट से 87 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पहुंचकर आप अपने डेस्टिनेशन के लिए कैब या फिर टैक्सी बुक कर सकते हैं।
लोहाघाट जाने के लिए सही समय
बात करें लोहाघाट जाने के लिए बेस्ट टाइम की, तो यहां सालभर खुशनुमा मौसम रहता है और आप किसी भी महीने जा सकते हैं, लेकिन गर्मियों और सर्दियों का वक्त ज़्यादा सही रहेगा। लोहाघाट में गर्मियों का सीजन अप्रैल से जून तक रहता है, जबकि इसके बाद बारिश शुरू हो जाती है। बेहतर होगा कि गर्मियों मे आप अप्रैल से जून के बीच ही लोहाघाट का टूर प्लान करें।
बात करें सर्दियों की, तो लोहाघाट में सर्दियां अक्टूबर से शुरू होकर मार्च के आखिर तक रहती हैं। इस दौरान यहां का तापमान 2 डिग्री से 10 डिग्री सेल्सियस तक रहता है।