देश में बढ़ती आबादी के साथ साथ लगातार हुए भूमि के हिस्सों के कारण आज कुछ किसान ऐसे भी हैं जिनके पास एक एकड़ से भी कम की जमीन बची हुई हैं. ऐसे में अगर वह वहां खेती कर भी लें तो भी वह इतना पैसा नहीं कमा सकते की अपना घर और दुबारा खेती करने के पैसे जुटा सके.ऐसे में उन किसानों को उसी जमीन पर अलग विकल्पों के जरिये पैसे कमाने के बारे में सोचना चाहिए. इसलिए आज हम आपके लिए मछली पालन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां लेकर आये हैं. जिससे आप उसी जमीन पर खेती से ज्यादा पैसे कमा पाएंगे.
अगर आप मछली पालन का काम शुरू करने वाले हैं तो आपको सबसे पहले अपनी एक एकड़ जमीन को एक तालाब में बदलना होगा. तालाब में कहीं भी कोई टीला न हो इसका ध्यान रखें. जल आपूर्ति के लिए आपको मोटर पंप लगवाना होगा. तालाब के किनारों पर आप सीमेंट, ईंट-पत्थर या फिर मिट्टी से भरी बोरियां रखकर जमीन के कटाव को रोकने का काम करवा सकते हैं.तालाब के तल पर आपको चिकनी मिट्टी की एक पर्त बिछानी होगी, चिकनी मिट्टी लताब के सबसे उपयुक्त मानी जाती हैं. तालाब में किसी प्रकार के जलीय पौधे न उगे उसका भी आपको ध्यान रखना होगा. जलीय पौधे बहुत तेज़ी से फैलते हुए तालाब को घेर लेते हैं, ऐसे में मछली का जिन्दा रह पाना मुमकिन नहीं होता.अगर आप मछलियों की ज्यादा पैदावार चाहते हैं तो आप एक एकड़ तालाब में 250 किलोग्राम चूने को मिला दें. इसके साथ ही गोबर खाद के प्रयोग से 15 दिन के बाद रासायनिक खाद सिंगल सुपर फास्फेट 250 किलोग्राम, म्यूरेट ऑफ पोटाश 40 किलोग्राम, कुल मिश्रण 490 किलोग्राम 10 समान मासिक किश्तों में डालते रहें.
अगर आप किसी प्रकार के उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं और पानी का रंग नीला या हरा हो जाता है तो आपको तब तक दुबारा उर्वरकों का इस्तेमाल नहीं करना जब तक पानी का रंग सही स्थिति में ना आ जाए. आपको मछलियों की अच्छी पैदावार के लिए नियमित समय पर छोटी मछलियों के बीज छोड़ते रहना होगा. ऐसे में बड़ी मछलियां एक दूसरे को नहीं खाएंगी.मछलियों की किस्मों की बात करें तो हमारे देश में सबसे ज्यादा देश की मेजर कार्प मछलियों में कतला, रोहू व नैन और विदेशी कार्प में सिल्वर कार्प और ग्रास कार्प तथा कॉमन कार्प की पैदावार को सबसे फायदेमंद माना जाता हैं. इसकी खाने को लेकर मांग और कीमत में कभी गिरावट देखने को नहीं मिलती.