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हरिद्वार के पास 10 अद्भुत हिल स्टेशन: जानिये कोन से है यह हिल स्टेशन।

हरिद्वार का प्राचीन शहर पूरे देश के हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। हर साल पर्यटकों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने शहर को पहाड़ों पर पर्यटन का केंद्र बना दिया है। हरिद्वार के पास कई हिल स्टेशन हैं जो आपकी यात्रा की योजनाओं को विस्तार से बताते हैं। बजट विकल्पों से लेकर रिज़ॉर्ट हॉलीडे तक, हर किसी के लिए थोड़ा सा कुछ है जो आराम से छुट्टी बिताना चाहते है।

हरिद्वार के पास 10 अद्भुत हिल स्टेशन

“मसूरी”


मसूरी का मौसम यहां हर समय सुहावना मौसम रहता है यहां पर बारिश का मौसम कभी भी बन सकता है यहां कभी-कभी हल्की धूप होती है परंतु अधिक समय के लिए यहां पर सुहावना मौसम रहता है जो पर्यटक को को अधिक पसंद आता है पर्यटक यहां पर इसी मौसम को जीने आते हैं यहां के सुहावने मौसम में आकर पर्यटक खुद को अधिक तरोताजा महसूस करते हैं वह यहां की खूबसूरत वादियों को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं
अंग्रेजों ने बसाया मसूरी शहर: मसूरी का इतिहास सन 1825 में कैप्टन यंग, एक साहसिक ब्रिटिश मिलिट्री अधिकारी और श्री.शोर, देहरादून के निवासी और अधीक्षक द्वारा वर्तमान मसूरी स्थल की खोज से आरम्भ होता है। तभी इस छुट्टी पर्यटन स्थल की नींव पड़ी, जिसके अभी तक भी कुछ ही विकल्प कहलाते हैं। 1827 में एक सैनिटोरियम बनवाया गया, लैंढ़ौर में, जो आज कैन्टोनमैन्ट बन चुका है। इसके नाम के बारे में प्रायः लोग यहां बहुतायत में उगने वाले एक पौधे ”’मंसूर”’ को इसके नाम का कारण बताते हैं, जो लोग, अभी भी इसे मन्सूरी कहते हैं।

“नैनीताल”


प्राकृतिक सुंदरता एवं संसाधनों से भरपूर जनपद नैनीताल हिमालय पर्वत श्रंखला में एक चमकदार गहने की तरह है । कई सारी खूबसूरत झीलों से सुसज्जित यह जिला भारत में ‘झीलों के जिले’ के रूप में मशहूर है चारों ओर से पहाडियों से घिरी हुई ‘नैनी झील’ इन झीलों में सबसे प्रमुख झील है। नैनीताल अपने खूबसूरत परिदृश्यों और शांत परिवेश के कारण पर्यटकों के स्वर्ग के रूप में जाना जाता है।
नैनीताल को झीलों का आशीर्वाद प्राप्त है नैनीताल में हर पल आपको एक खूबसूरत जिम देखने को मिल जाएगी वहां का हसीन मौसम आप का मन जीत लेगा नैनीताल को जीरो कलकत्ता भी कहा जाता है नैनीताल हिमालयन बेल्ट में स्थित है यह कुमाऊ की पहाड़ियों के मध्य में स्थित हैनैनीताल को श्री स्कन्द पुराण के मानस खंड में ‘तीन संतों की झील’ या ‘त्रि-ऋषि-सरोवर’ के रूप में उल्लेखित किया गया है।

“अल्मोड़ा”


राखंड से रानीखेत से लगभग 34 किमी दूर द्वाराहाट नाम का एक ऐतिहासिक गांव मौजूद हैं जो कभी कत्यूरी साम्राज्य का हिस्सा था। इस खास स्थल को स्वर्ग का मार्ग भी बताया जाता है। द्वाराहाट अपने खूबसूरत प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है जिनपर आप गुर्जारी स्कूल ऑफ आर्ट का प्रभाव है देख सकते हैं। ऐतिहासिक स्थलों के प्रेमी इस स्थल की यात्रा कर सकते हैं। यहां उन्हें 55 ऐतिहासिक मंदिरों को देखने का मौका मिलेगा। आप इन मंदिरों की खास वास्तु और शिल्पकला को देख सकते हैं, जिसका श्रेय कत्यूरी राजवंश को जाता है। ये वो राजवंश था जिसने काफी लंबे समय तक कुमाऊं पर राज किया

“रानीखेत” की सैै


रानीखेत उत्तरा खंड का एक छोटा सा हिल स्टेशन है। जोकि समुद्र तल से 1824 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।। यहां का शांत वातावरण, फूलों से ढके रास्ते, देवदार औऱ पाईन के लम्बे लम्बे पेड़ बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। यहां पर बर्फ से ढकी मध्य हिमालयी पहाड़ियां भी दिखाई देती हैं।

“ऑली”


भारत के उत्तराखंड में स्थित, औली है जो करीब 5-7 किमी छोटा सा स्की- रिर्सोट है। यह स्थान हरे-भरे देवदार के पेड़ो से घिरा हुआ है। यह स्थान विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों और जीवों के लिए घर होने के अलावा, यह कई तरह के साहसिक गतिविधियों जैसे स्कीइंग, ट्रेकिंग और कैम्पिंग के लिए जाना जाता है। औली के उत्तर में, बद्रीनाथ मंदिर है जो हिंदुओं के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। यहां पर आपको एक और अन्य आकर्षण वैली ऑफ फ्लॉवर्स नेशनल पार्क है जो अल्पाइन वनस्पतियों और वन्यजीव जैसे हिम तेंदुओं और लाल लोमड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। पर्यटकों के बीच बढ़ती लोकप्रियता चलते औली पर्यटकों के लिए मनपसंद गंतव्य में से एक है।

“कसौली”


चंडीगढ़ से शिमला जाने वाली सड़क की आधी दूरी पर स्थित है, खूबसूरत हिल स्टेशन−कसौली। कालका से करीब 20 किमी ऊपर पहाड़ी की ओर सड़क पर मोड़ है और यहीं इस मोड़ के दूसरी ओर से आता पहाड़ की पहली हवा का झोंका यात्रियों को मंत्रमुग्ध कर देता है। प्रकृति की अनुपम छटा को देखकर पर्यटक अभिभूत हो जाता है। यह मधुर हवा का झोंका कहीं ओर से नहीं बल्कि पर्वतीय स्थल कसौली की तरफ से आ रहा होता है।

“सातताल”


सातताल झील नैनीताल से 23 किमी दूर स्थित एक बहुत ही ख़ूबसूरत झील है। यह झील उत्तराखंड में स्थित हैं। इस ताल तक पहुँचने के लिए भीमताल से ही मुख्य मार्ग है। भीमताल से ‘सातताल’ की दूरी केवल 4 कि.मी. है। आजकल यहाँ के लिए एक दूसरा मार्ग माहरा गाँव से भी जाने लगा है। माहरा गाँव से सातताल केवल 7 कि.मी. दूर है।

मुक्तेश्व्वर


यह बेहद खूबसूरत स्थान नैनीताल से लगभग 51 किलोमीटर की दूरी एवं समुद्र की सतह से 2286 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है । फलों के बगीचों एवं देवद्वार के घने जंगलों से घिरा हुए इस स्थान को सन् 1893 में अंग्रेजों ने अनुसंधान एवं शिक्षा संस्थान के रूप में विकसित किया था, जोकि अब भारतीय पशु अनुसंधान केंद्र (आई.वी.आर.आई.) के रूप में जाना जाता है । यहॉ से हिमालय की लम्बी पर्वत श्रंखलायेंं दिखाई देती है । यहीं पहाड की चोटी पर भगवान शिव का एक मंदिर भी है, जहॉ से चारों ओर का नजारा देखते ही बनता है ।मुक्तेश्वर के घने देवद्वार के जंगल किसी भी आने वाले व्यक्ति को स्वतः ही अपनी ओर आकर्षित करने हैं ।

“चाकोरी”

दिल्ली से 530 किमी दूर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की बेरीनाग तहसील में स्थित चौकोरी एक छोटा सा पहाड़ी नगर है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 2010 मीटर है। चौकोरी के उत्तर में तिब्बत और दक्षिण में तराई क्षेत्र है। यह जगह भी पश्चिमी हिमालय की पर्वत श्रृंखला के पास स्थित है।
कहते हैं देखने में सभी हिल स्टेशन एक जैसा होता है लेकिन हर पहाड़ की अपनी खूबसूरती होती है अगर बात चौकोरी की जाए तो उनकी बात ही अलग है एक तरफ जहां हरियाली से लकदक ऊंचे पहाड़ है तो दूसरी ओर बर्फ से ढकी पहाड़ियां। सूरज की लालिमा इन बर्फ से ढके पहाड़ों पर पड़ती है तो लगता है मानों हम स्वर्ण देश में आ गए हैं। यहां का हर नजारा दिल को सुकून पहुंचाता है। शांत शीतल हवा शरीर में नई सुफूर्ति का संचार करती है। चौकारी की खूबसूरती को बयां करती।

“लैंसडौन”


उत्तराखंड की वादियों में बसा लैंसडाउन एक ऐसा ही हिल स्टेशन है, जहां जाने के लिए आपको लंबी छुट्टियों की ज़रूरत नहीं है। लैंसडाउन खूबसूरत और शांत होने के साथ सुरक्षित भी है, क्योंकि यहां सैनिक छावनी है। 1706 मीटर की ऊंचाई पर स्थित लैंसडाउन भारत के सबसे शांत पहाड़ी गंतव्यों में से एक है। चीड़-देवदार के जंगलों के घिरा यह स्थल बहुत हद तक सैलानियों को आकर्षित करने का काम करता है।
लैंसडाउन का मौसम गर्मियों के दौरान भी काफी सुहावना बनारहता है।आप किसी भी मौसम इस खास पर्यटन स्थल की यात्रा का प्लान बना सकते हैं। इस खास लेख में जानिए पर्यटन की दृष्टि से लैंसडाउन आपके लिए कितना खास है।