बेटियां आज हर क्षेत्र में आगे बढ़कर देश-प्रदेश का मान बढ़ा रही हैं। जिन क्षेत्रों में अब तक पुरुषों का दबदबा हुआ करता था, अब वहां भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व नजर आता है। बेटियां हर क्षेत्र में खुद को बेहतर साबित कर रही हैं। उत्तराखंड पुलिस में हेड कांस्टेबल के तौर पर कार्यरत सुषमा रानी भी पहाड़ की ऐसी ही होनहार और कर्तव्यनिष्ठ बेटियों में से एक हैं। हाल में सुषमा रानी ने राष्ट्रीय स्तर पर शानदार उपलब्धि हासिल कर उत्तराखंड और उत्तराखंड पुलिस को खुद पर गर्व करने का अवसर दिया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा आयोजित ऑल इंडिया पुलिस फोर्सेज डिबेट कंपटीशन ऑन ह्यूमन राइट्स में हेड कांस्टेबल सुषमा रानी दूसरा स्थान हासिल करने में सफल रहीं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के मौके पर राष्ट्रीय स्तर के डिबेट कंपटीशन का आयोजन किया गया। कंपटीशन में प्रतिभागियों को ‘कानून के संरक्षक के तौर पर मानवाधिकारों को बनाए रखना पुलिस की व्यावसायिक कर्तव्य के प्रति जिम्मेदारी भी है’ विषय पर अपने विचार रखने का अवसर दिया गया। ऑनलाइन डिबेट कंपटीशन में 26 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिसकर्मियों ने हिस्सा लिया। जिनमें उत्तराखंड पुलिस की हेड कांस्टेबल सुषमा रानी दूसरा स्थान हासिल करने में सफल रहीं। इस तरह उत्तराखंड पुलिस की महिला हेड कांस्टेबल ने उत्तराखंड को गौरवान्वित किया है।
आपको बता दें कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर 10 नवंबर को देहरादून में पुलिस मुख्यालय में एक चर्चा की प्रतिद्वंद्विता को समन्वित किया गया था। जिसमें कई सदस्यों ने भाग लिया। उत्तराखंड पुलिस के हित में चर्चा के लिए हेड कांस्टेबल सुषमा रानी को चुना गया। राज्य स्तर पर निर्णयों के बाद, सुषमा रानी ने सार्वजनिक स्तर की प्रतिद्वंद्विता में रुचि ली और इसके बाद इसे जीता। 10 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले सम्मान समारोह में हेड कांस्टेबल सुषमा रानी को सम्मानित किया जाएगा। उन्हें मौद्रिक पुरस्कार, पुरस्कार और संदर्भ दिए जाएंगे। उत्तराखंड पुलिस ने सुषमा रानी की उपलब्धि पर खुशी जाहिर की। डीजीपी अनिल की रतूड़ी और डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार ने हेड कांस्टेबल सुषमा रानी को अतिरिक्त रूप से सलामी दी।