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देहरादून में अतिक्रमण हटाने का अभियान फिर से शुरू हुआ पुलिस बलों की तैनाती बढ़ाई है

राजधानी देहरादून में अतिक्रमण हटाओ अभियान के दूसरे दिन टीम को व्यापारियों के विरोध का सामना करना पड़ा। बुधवार को पलटन बाजार में अतिक्रमण हटाने पहुंची टीम का व्यापारियों ने पुरजोर विरोध किया भारी विरोध के बीच कुछ देर के लिए अतिक्रमण तोड़ने का काम रोका गया। जिसे देखते हुए यहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। टीम को अतिक्रमण ढहाते देख कुछ व्यापारी खुद ही अपनी दुकान के आगे किए गए अतिक्रमण को हटाने लगे।


व्यापारियों के मुताबिक अब तक लॉकडाउन ने कमर तोड़ी, लेकिन त्योहारी सीजन से उम्मीद थी तो प्रशासन को अतिक्रमण की याद आ गई है। एसपी सिटी श्वेता चौबे व अन्य अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर व्यापारियों से बातचीत की। दून की सड़कों को अतिक्रमणमुक्त करने के हाईकोर्ट के आदेशों का तो सरकार कड़ाई से अनुपालन करा रही है। लेकिन, इसके उलट साडा (स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथारिटी,अब एमडीडीएम में शामिल) क्षेत्र में अतिक्रमण के जिम्मेदारों पर वह चुप है। ऐसे में सवाल उठता है अतिक्रमण के जिम्मेदारों पर कार्रवाई कब होगी? क्या सारे नियम कानून आम पब्लिक के लिए हैं?

दो साल पहले अतिक्रमण के मामले में हाईकोर्ट ने एक दिन के अंतर पर दो फैसले दिए थे। 18 जून 2018 को दिए फैसले में कोर्ट ने दून शहर से चार सप्ताह में अतिक्रमण हटाने को कहा था। 19 जून 2018 को पीठ ने अनुज कंसल की याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव को निर्देशित किया था कि साडा क्षेत्र के तहत हरबर्टपुर, विकासनगर और दून टाउन से लगे इलाकों में हुए अनाधिकृत निर्माण और अतिक्रमण की जांच के लिए कम से कम एसएसपी और आईजी रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया जाए।


एसआईटी को साडा क्षेत्र के उन अधिकारियों को चिह्नित कर एफआईआर दर्ज करने को कहा था, जिनके कार्यकाल में बड़े पैमाने पर पेड़ों का अवैध कटान और अवैध निर्माण हुआ हो। इसके लिए एसआईटी को 90 दिन का समय दिया गया था। वहीं कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए थे कि कृषि भूमि का लैंड यूज ग्रुप हाउसिंग के लिए किसी भी कीमत पर न बदला जाए। इसमें अपनी जमीन पर घर बनाने वाले लोगों को राहत देने की भी बात कही गई थी।

प्रेमनगर पर मेहरबानी से उठ रहे सवाल

जिन कारोबारियों ने खामोश होकर अपने अतिक्रमण तोड़ने दिए, वह शासन और प्रशासन से सवाल कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्रेमनगर पर बार-बार मेहरबानी क्यों दिखाई जा रही है। यह पहली दफा नहीं है, जब प्रेमनगर के अतिक्रमण पर मशीनरी के कदम ठिठके हैं। वर्ष 2018 में पहले चरण के अभियान में भी अधिकारी विरोध के चलते प्रेमनगर से बैरंग लौट आए थे। सितंबर 2019 में भी बामुश्किल यहां के अतिक्रमण ध्वस्त किए गए थे। हालांकि, प्रेमनगर पर खास मेहरबानी के चलते कुछ ही समय बाद यहां हालात पहले जैसे हो गए। मंगलवार को भी यही मेहरबानी अभियान में रोड़ा बन गई।

हटाए जाने हैं 1379 अतिक्रमण

दून में 1379 अतिक्रमण हटाए जाने हैं। पहले दिन बेहद कम अतिक्रमण हटाए गए। वजह यह रही कि प्रेमनगर में अभियान रोकना पड़ा तो गांधी रोड व सहारनपुर रोड के मुख्य भाग को छेड़ा ही नहीं गया। ऐसे में कोर्ट के स्टे के बाद अतिक्रमण किस तरह हटाए जाएंगे, यह सवाल भी बाकी है। कहीं न कहीं अधिकारियों को भी ऊपर से कार्रवाई तेज करने के स्पष्ट आदेश नहीं मिल रहे। ऐसे में आने वाले दिन अतिक्रमण हटाओ अभियान पर भारी पड़ सकते हैं।