कोरोना काल में दिवाली की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। बाजार सज गए हैं, पटाखों की जमकर खरीदारी हो रही है, हालांकि इस बार पटाखे जलाने का समय तय कर दिया गया है। दीपावली के दिन लोग सिर्फ दो घंटे के लिए पटाखे जला सकेंगे। कोरोना का संक्रमण फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है, श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है, ऐसे में पटाखों का धुआं जानलेवा साबित हो सकता है। ऐसी स्थिति को रोकने के लिए एनजीटी ने वायु प्रदूषण के हिसाब से गंभीर स्थिति वाले शहरों में पटाखे जलाने पर रोक लगाई है। जहां प्रदूषण का स्तर ज्यादा है, वहां पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध रहेगा। वहीं जिन इलाकों में प्रदूषण का ग्राफ मध्यम और कम है, वहां पटाखे जलाने के लिए दो घंटे का समय तय किया गया है। बात करें उत्तराखंड की तो पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उत्तराखंड के प्रमुख शहरों को मध्यम श्रेणी मानते हुए दो घंटे का नियम लागू करने की बात कही है। ये तो तय है कि इस बार लोग सिर्फ दो घंटे के लिए पटाखे जला सकेंगे।
यद्यपि यह दो घंटे से लेकर कितने समय तक होगा, यह इस बिंदु पर नहीं चुना गया है। अधिकारियों को आज मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक करनी है। जिसमें वेफर्स के उपभोग के लिए समय तय किया जाएगा। उत्तराखंड में, देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार, काशीपुर, रुद्रपुर और हल्द्वानी में वायु प्रदूषण के स्तर की जाँच की जाती है। इन क्षेत्रों में सबसे उल्लेखनीय संदूषण इसी तरह का है। प्रत्येक घन मीटर के लिए 101
और 200 माइक्रोग्राम की सीमा में यहां वायु संदूषण कहीं और बड़ी रेंज में होता है। तदनुसार, इन शहरी समुदायों को केंद्र वर्ग के लिए याद किया जाता है। एनजीटी ने कहा है कि यह उन राज्यों के लिए सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक माना जाएगा जहां दो घंटे का समय निर्धारित नहीं है। इसके अलावा, एकान्त सौदा और कम दूषित हरी आतिशबाजी के उपभोग की अनुमति होगी। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आज एक सभा का आयोजन किया जाना है। जिसमें पटाखों की खपत के संबंध में जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षकों को नियम दिए जाएंगे।