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ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल मार्ग होगा हाईटेक..

उत्तराखंडवासी सालों से चार धामों के रेल सेवा से जुड़ने का इंतजार कर रहे हैं। ये इंतजार अगले कुछ सालों में खत्म होने वाला है। दशकों से प्रस्तावित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना विस्तार ले रही है। पहला स्टेशन योगनगरी रेलवे स्टेशन भी बनकर तैयार है। प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल ये परियोजना कई मायनों में खास है। परियोजना के तहत 12 रेलवे स्टेशन बनाए जाने हैं। जिनमें से 10 स्टेशन पुलों के ऊपर और सुरंग के अंदर होंगे। खुली जमीन पर इन स्टेशनों का प्लेटफार्म वाला हिस्सा ही दिखाई देगा। सिर्फ शिवपुरी और ब्यासी स्टेशन ही ऐसे स्टेशन हैं, जिनका कुछ भाग खुली जमीन पर दिखेगा। दूसरे रेलवे स्टेशन सुरंग के अंदर और पुल के ऊपर बनाए जाएंगे। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलमार्ग की कुल लंबाई 125.20 किलोमीटर है। रेल मार्ग का 84.24 फीसदी भाग (105.47 किलोमीटर) हिस्सा अंडरग्राउंड रहेगा।

सिर्फ रेलमार्ग ही नहीं ज्यादातर रेलवे स्टेशन भी सुरंग के अंदर और पुल के ऊपर बनाए जाएंगे। जिन रेलवे स्टेशनों को पुल के ऊपर बनाया जाना है, उनके बारे में भी बताते हैं। धारी देवी, डुंगरीपंथ रेलवे स्टेशन का कुछ हिस्सा पुल के ऊपर होगा। जबकि श्रीनगर का रानीहाट-नैथाणा स्टेशन पूरी तरह खुली जगह पर बनाया जाएगा।

फिर देवप्रयाग के सौदई, जानसू, मालथ, तिलानी, घोलतीर, गौचर और कर्णप्रयाग के स्टेशन कुछ हद तक भूमिगत होंगे। इसी तरह वे रेलवे स्टेशन को भूमिगत या अधिक मचान बनाने के पीछे के उद्देश्य को स्पष्ट करते हैं। आरवीएनएल के वरिष्ठ उप महाप्रबंधक पीपी बडोगा के अनुसार, दो गुना रेल लाइन स्टेशन के लिए लंबाई में 1200 से 1400 मीटर की आवश्यकता होती है। श्रीनगर (रानीहाट-नैथाना) ऋषिकेश-कर्णप्रयाग पाठ्यक्रम पर मुख्य रेलमार्ग स्टेशन है, जहाँ पूरा स्थान पाया जा रहा है। इसलिए, यह मुख्य स्थान है जहां एक रेलवे स्टेशन खुले में निहित होगा।

रेल स्टेशन के लिए कमरे की अनुपस्थिति को ध्यान में रखते हुए, रेल लाइन स्टेशन की योजना बनाई गई है ताकि इसका कुछ हिस्सा मार्ग के अंदर हो, जबकि मंच खुले में अंतर्निहित होगा। सबसे बड़े रेलमार्ग स्टेशन को श्रीनगर में रानीहाट-नैथाना में काम किया जाएगा। जहां 5 स्टेज बनाए जाएंगे। दूसरा स्थान लंबे समय तक कर्णप्रयाग का रेलवे स्टेशन होगा। इसी तरह यह रेलवे स्टेशनों की पूर्ण लंबाई को व्यक्त करता है। 390 मीटर लंबा रेल्वे स्टेशन अंतर्निहित देवप्रयाग होगा। जबकि तिलानी में 600 मीटर, घोलतीर में 600, ब्यास में 600, शिवपुरी में 800, गौचर में 1000, जानसु में 1000, मालीठा में 1100 और कर्णप्रयाग में 1200 मीटर का निर्माण किया जाएगा। 1800 मीटर जमीन पर श्रीनगर में बनाया जाएगा रेलवे स्टेशन। कार्य को 2024-25 तक लगातार पूरा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।