पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की फारेस्ट एडवाइजरी कमेटी ने उत्तराखंड के जिम कार्बेट नेशनल पार्क में टाइगर सफारी बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। टाइगर पार्क के बफर जोन क्षेत्र में पड़ने वाले 35 हेक्टेयर क्षेत्रफल में टाइगर सफारी बनाई जाएगी, जिससे लोगों को बाघों के शर्तिया दर्शन होंगे।
पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि इस योजना पर कुल 25 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। टाइगर पार्क के बफर जोन में 35 हेक्टेयर क्षेत्र में टाइगर सफारी के लिए कुल पांच बाड़े बनेंगे। इनके अंदर लोग खुले वाहनों में जाकर बाघों के नजदीक से दर्शन कर सकेंगे। पहले चरण में दो बाड़े बनेंगे। बफर जोन का यह क्षेत्र रामनगर से कोटद्वार के बीच में पड़ता है। यह पार्क से लगा बाहर का हिस्सा है।
सामने से देख पाएंगे बाघ
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय में वन्य जीव महकमे में वरिष्ठ अधिकारी रहे एसके खंडूरी बताते हैं कि लोग वन्य जीवों को देखने के लिए दूर-दूर से जिम कार्बेट पार्क आते हैं। अक्सर लोगों को निराशा हाथ लगती है, क्योंकि बाघ के दर्शन नहीं हो पाते।
टाइगर सफारी में अब बाघ को एकदम सामने से देखने का मौका मिलेगा। उन्होंने बताया कि टाइगर सफारी में एक बाड़ा विकसित किया जाएगा, जिसमें बाघों को रखा जाएगा। इस बाड़े के बीच में एक कॉरिडोर बनाया जाएगा, जो दोनों तरफ से कवर होगा। इस कॉरिडोर में खुले या पारदर्शी वाहनों में लोगों को टाइगर सफारी के लिए ले जाया जाएगा। इससे लोगों को बाघों के नजदीक से दर्शन होंगे। भारत में इस प्रकार की सफारी कम हैं।
कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई। 2014 में कार्बेट पार्क में जहां 215 बाघ रिकॉर्ड किए गए थे, वहीं 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 260 हो गया है। चार सालों में 45 बाघ बढ़ने से कॉर्बेट प्रशासन गदगद है। हालांकि क्षेत्रफल के लिहाज से ज्यादा बाघों की सुरक्षा पार्क प्रशासन के लिए चुनौती भी बन सकती है। 15 नवंबर 2018 से 15 फरवरी 2019 तक तीन महीने के दौरान डब्ल्यूआईआई ने नेशनल जिम कार्बेट पार्क में कर्मचारियों की मदद से कैमरा ट्रैप लगाए थे। जनवरी के पहले सप्ताह में करीब छह सौ कैमरों की मदद से ट्रैप हुआ डाटा एकत्र किया गया।
इन कैमरों में करीब दो लाख वन्यजीवों की फोटो कैद हुई थी। एक सप्ताह तक टाइगर सेल में फोटो के विश्लेषण का काम चला। इसके बाद कॉर्बेट प्रशासन की ओर से पूरी रिपोर्ट वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) को भेज दी गई। 29 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में देश में बाघों की संख्या 2967 बताई थी और उत्तराखंड में 442 बाघ होने की बात कही गई थी।