कहते हैं, जब इरादे बुलंद हों, तो कोई भी मुश्किल आपको सफल होने से रोक नहीं सकती। ऊधमसिंहनगर के होनहार युवा शैलेश कुमार वशिष्ठ ने इस कहावत को सच साबित कर दिखाया है। शैलेश वशिष्ठ ने न्यायिक सेवा छत्तीसगढ़ की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है। अब वो न्यायाधीश के तौर पर सेवाएं देंगे। उनकी इस उपलब्धि से क्षेत्र में खुशी की लहर है। घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा है। शैलेश की सफलता इसलिए भी खास है, क्योंकि उन्होंने कड़ी मेहनत के दम पर पहले प्रयास में ही न्यायिक सेवा की परीक्षा पास कर ली। यही नहीं वो चौथी रैंक हासिल करने में भी सफल रहे। आज हम शैलेश कुमार वशिष्ठ की सफलता देख रहे हैं, लेकिन यहां तक पहुंचने का उनका सफर बेहद संघर्षों से भरा रहा। शैलेश का परिवार काशीपुर के मोहल्ला कूर्मांचल कॉलोनी में रहता है। उनके पिता शिव कुमार शर्मा काशीपुर पुलिस में सिपाही के पद पर कार्यरत थे। साल 2001 में बीमारी के चलते उनका स्वर्गवास हो गया। पिता की मौत के बाद परिवार को आर्थिक संकटों से जूझना पड़ा। मां पर परिवार और दोनों भाइयों की जिम्मेदारी आ गई।
बच्चों को लाने के लिए, उनकी माँ मंजू शर्मा को बहुत लंबे समय तक निजी स्वामित्व वाले व्यवसायों में काम करने की ज़रूरत थी, फिर भी उन्होंने बच्चों के मुद्दों का अध्ययन नहीं किया। 2011 में, मंजू शर्मा को पुलिस कार्यालय में काम की एक नई लाइन मिली। उस समय परिवार की मौद्रिक स्थिति में सुधार हुआ। उन्हें मुख्य संगठन रुद्रपुर पीएसी में कांस्टेबल का पद दिया गया था। शैलेश बहुत समय से अपनी माँ के साथ पीएसी हरिद्वार में रह रहा था। उनके वरिष्ठ भाई देवेश शर्मा नोएडा में एक दृश्य प्रवर्तक हैं। शैलेश ने वर्ष 2019 में छत्तीसगढ़ की कानूनी मदद ली। शनिवार को इसका परिणाम दिया गया। शैलेश ने पहले दौर में मूल्यांकन में चौथे स्थान के बारे में सुनिश्चित किया है। शैलेश ने अपना प्रारंभिक प्रशिक्षण ग्रेट मिशन पब्लिक स्कूल में किया। 2018 में, उन्होंने एकता लॉ कॉलेज से एलएलबी किया। शैलेश अपनी समृद्धि का श्रेय माता को देते हैं। उन्होंने कहा कि इक्विटी के लिए काफी समय तक कोर्ट के आसपास असहाय बने रहते हैं, फिर भी उन्हें इक्विटी नहीं मिलती है। इसलिए, न्याय विभाग में गरीबों को इक्विटी दी जाती है।