नौकरी गई..युवक ने शुरू की मशरूम की खेती..अब अच्छी कमाई

नौकरी चले जाने का गम वही जान सकता है, जिसने कभी नौकरी की हो। इसकी अहमियत भी वही समझ सकता है, जिसने नौकरी पाने के लिए पैर घिसे हों, लेकिन कोरोना संकट ने एक झटके में कई लोगों की नौकरियां छीन लीं। अब नौकरी चली गई तो घर तो नहीं बैठ सकते, कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा ना। यही सोचकर पिथौरागढ़ के एक युवा महेश सिंह ने मशरूम उत्पादन में हाथ आजमाया। आज यही उनकी आजीविका का जरिया बन गया है। जिससे वो हर महीने 12 से 15 हजार रुपये तक कमा रहे हैं। मशरूम उत्पादन कर अपने लिए रास्ता बनाने वाले महेश आज दूसरों को भी स्वरोजगार की राह दिखा रहे हैं..पिथौरागढ़ के ऑफिसर्स कॉलोनी भाटकोट में रहने वाले महेश सिंह प्राइवेट सेक्टर में जॉब करते थे। सब ठीक चल रहा था, तभी अचानक कोरोना की एंट्री हुई और देशभर में लॉकडाउन लग गया। इसी बीच महेश की जॉब छूट गई। उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। परिवार को संकट से उबारने के लिए महेश ने अपने घर के आस-पास ही रोजगार की संभावनाएं ढूंढनी शुरू कर दीं।

इस दौरान उन्होंने कई लोगों को मशरूम की खेती करते देखा। यहीं से उनमें भी मशरूम की खेती करने की चाह जगी और वो कृषि विज्ञान केंद्र के गैना केंद्र में पहुंच गए। वहां तैनात वैज्ञानिक संजय गोस्वामी के सामने उन्होंने मशरूम उत्पादन शुरू करने की इच्छा जताई। जिसके बाद उन्हें तीन दिन तक मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग दी गई। ट्रेनिंग के बाद महेश ने अपने घर में ही दस बाई दस के कमरे में मशरूम उत्पादन शुरू कर दिया। उत्पादित मशरूम को उन्होंने आसपास के घरों में बेचा। लोगों ने भी इसे हाथों-हाथ लिया। बाजार में मशरूम की कीमत 300 रुपये प्रति किलो तक है। इस तरह महेश हर महीने घर पर ही मशरूम उत्पादन कर 12 से 15 हजार रुपये तक कमा ले रहे हैं। अब वो अपने कारोबार को और बढ़ाना चाहते हैं, ताकि क्षेत्र के दूसरे युवाओं को भी रोजगार दे सकें।

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