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एक बस में हुई घटना ने शालिनी अग्निहोत्री को बना दिया आईपीएस अफसर, अब कहलती है “लेडी सिंघम”

कभी-कभी आपके जीवन में ऐसी घटनाएं घटित हो जाती है जिसे आप जीवन भर नहीं भुला पाते हैं कुछ लोग उसके सितम में उदास रहते हैं. तो कुछ लोग उसे बदलने की राह पर चल पड़ते हैं और उसे अपना जीवन का लक्ष्य बनाकर किसी ना किसी तरीके से कुछ समस्याओं का निवारण करना चाहते हैं आज हम आपको कुछ इसी प्रकार की कहानी सुनाने वाले हैं जिसे सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे की कोई व्यक्ति अपने जीवन में हुई घटनाओं के प्रति इतना ज्यादा सचेत कैसे रह सकता है।कुछ ऐसा ही हुआ हिमाचल प्रदेश में रहने वाली शालिनी (IPS Shalini Agnihotri) के साथ। उनके बचपन की एक घटना कि वज़ह से उन्होंने निश्चय कर लिया था कि उन्हें बड़े होकर IPS बनना है। आइए जानते हैं शालिनी ने IPS बनने का सफ़र कैसे तय किया।

शालिनी (IPS Shalini Agnihotri) के पिता एक बस कंडक्टर हैं। उन्होंने अपने बचपन की अवस्था में ही तय कर लिया था कि वे IPS बनेंगी, परन्तु इनके घर में कोई भी किसी सरकारी जॉब में नहीं था अतः इन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी कि उन्हें इसके लिए करना क्या है। हालांकि उनके परिवारवालों ने उनका काफ़ी ख़्याल रखा और साथ निभाया।

बचपन में हुई इस घटना कि वज़ह से निश्चय किया IPS ही बनेंगी

शालिनी अग्निहोत्री (IPS Shalini Agnihotri) जब छोटी थीं उस समय की बात है, वे अपनी माँ के साथ उसी बस में यात्रा कर रही थीं, जिस बस में उनके पिताजी कंडक्टर हुआ करते थे। यात्रा से दौरान एक व्यक्ति ने उनकी माँ की सीट के पीछे हाथ रखा हुआ था, जिसकी वज़ह से वे सही से बैठ नहीं पा रही थीं और असुविधा महसूस कर रही थीं। उन्होंने उस आदमी से बहुत बार हाथ हटाने के लिए कहा परन्तु वह नहीं माना और कहने लगा-तुम कहाँ कि डीसी हो जो तुम्हारी बात मानें?

उसी समय शालिनी (IPS Shalini Agnihotri) के बालमन ने विचारा कि ये डीसी कौन होता है? क्या ये बहुत ताकतवर होता है जो सब उससे डरते हैं? फिर उन्होंने डीसी के बारे में पता किया कि पुलिस की डयूटी में डीसी का पद क्या होता है, वह क्या काम करता है इत्यादि और तभी निश्चय कर लिया कि वे भविष्य में बड़ी होकर ऐसी ही ऑफिसर बनेंगी तथा ऐसे गुंडों को स बक सिखाएंगी।

घरवालों को बताए बिना दी यूपीएससी की परीक्षा, बिना किसी की मदद लिए की तैयारी

शालिनी (IPS Shalini Agnihotri) को उनके परिवार में बचपन से ही लड़कों के बराबर ही माना गया और स्वतंत्रता दी गई थी। वे छोटी थीं तब ज्यादातर लड़कों के ही साथ खेला करती थीं। पढ़ने लिखने में भी वे बहुत अच्छी थीं। उनकी पढ़ाई पहले धर्मशाला से हुई और फिर बाद में हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी द्वारा शिक्षित हुईं। जब उन्होंने कक्षा 12 उत्तीर्ण कर ली, उसके बाद उन्होंने जाना कि प्रशासनिक सेवा में जाने के लिए एक विशेष यूपीएससी परीक्षा (UPSC Exam) देनी होती है।

उन्होंने भी इस परीक्षा कि तैयारी शुरू कर दी। उन्हें लगा कि यदि वे इसमें पास नहीं हो पाई तो उनके घरवालों को निराशा का अनुभव होगा, इसलिए उन्होंने बिना किसी को बताए ख़ुद ही अपने दम पर इसकी तैयारी की। उन्होंने किसी की मदद नहीं ली और ना ही किसी कोचिंग में गईं। अकेले ही कॉलेज के हॉस्टल में रहते हुए पढ़ाई की।’

पूरे देश में 285 वीं रैंक से पास की UPSC परीक्षा, सर्वश्रेष्ठ ट्रेनी का खिताब भी पाया

उन्होंने वर्ष 2011 में ये परीक्षा दी तथा 2012 में उनका इंटरव्यू हुआ। फिर वर्ष 2012 में ही इनका रिज़ल्ट आ गया, इन्होंने यह परीक्षा 285 वीं रैंक के साथ पास की। इसी साल दिसम्बर महीने में उनकी ट्रेंनिग भी शुरु हो गई, उसमें वे IPS के साथ ही सबसे अच्छे ट्रेनी भी बनीं। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इन्हें सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर ट्रेनी ऑफिसर होने पर सम्मान दिया और सराहना की।

शालिनी (IPS Shalini Agnihotri) IPS बनने में अप्रत्यक्ष रूप से उनके माता पिता का भी सहयोग रहा है क्योंकि उन्होंने कभी अपनी बेटी को कम नहीं समझा, स्वतंत्रता दी और उसकी सारी ज़रूरतों को पूरा किया।