पुराने बुजुर्गों की कहावत है कि दुनिया में भूखे लोगों को भोजन कराना और पानी पिलाना सबसे ज्यादा पुण्य का काम माना जाता है आज भी दुनिया में कई लोग ऐसे हैं। जो रोजाना भूखे पेट सोते हैं तू कई ऐसे अमीर लोग भी हैं जो खाने की बर्बादी करते हैं। लेकिन कुछ ऐसे नींद इंसान भी हैं जो उनका पेट भरने के लिए बहुत से कदम उठाते हैं और उनके सारे दुख दर्द करते हैं। ताकि वह गरीब भी चैन की नींद सो सके और आपने इससे पहले नहीं सुना होगा कि सिर्फ ₹1 में मिले खाने की थाली।
ऐसे ही दिल्ली के रहने वाले 51 वर्षीय एक शख़्स हैं, जिनका नाम परवीन कुमार गोयल है। भुट्टो गली में नांगलोई के ‘श्याम रसोई‘ में सुबह 11 बजे से 1 बजे के बीच सिर्फ़ 1 रुपये में थाली मिलती है। श्याम रसोई के बाहर न सिर्फ़ गरीब, बल्कि हर वर्ग के लोग खाना खाने आते हैं। उस 1 रुपए की थाली में रोटी, सोया पुलाव, पनीर, सोयाबीन और हलवा मिलता है, जबकि मेन्यु हर दिन बदलता है। दोपहर के भोजन के साथ साथ, श्याम रसोई में सुबह की चाय भी 1 रुपये में ही मिलती है।
ANI की रिपोर्ट के अनुसार, श्याम रसोई को चलाने वाले परवीन कुमार गोयल पिछले दो महीने से श्याम रसोई चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि “हम यहाँ हर रोज़ 1 हज़ार से 11 सौ लोगों को खाना खिलाते हैं और तीन ई-रिक्शा के जरिए इंद्रलोक, साई मंदिर जैसे आस-पास के इलाकों में पार्सल भी पहुँचाते हैं। श्याम रसोई में लगभग 2, 000 दिल्लीवासी भोजन करते हैं।”
ANI से बात करते हुए गोयल ने यह भी कहा, “हमें लोगों से कुछ ना कुछ दान मिलता रहता है। कल एक बूढ़ी औरत आई और हमें राशन दी। किसी दिन किसी ने हमें गेहूँ दिया और इस तरह हम पिछले दो महीनों से इस रसोई को चला रहे हैं। लोग डिजिटल भुगतान द्वारा भी हमारी मदद करते हैं। हमारे पास सात और दिन इसे चलाने की क्षमता है। साथ ही, मैं सभी से अनुरोध करता हूँ कि वे हमें राशन की मदद करें और इस सेवा को जारी रखने में मदद करें।”
वर्तमान समय में गोयल के साथ 6 हेल्पर हैं, जिन्हें वह 300 से 400 रुपये प्रतिदिन का देते हैं। तो वहीं कभी-कभी कुछ स्थानीय और कॉलेज के छात्र भी उनकी मदद करने के लिए आते हैं। गोयल ने पहले थाली कि क़ीमत 10 रुपए रखी थी, लेकिन पिछले दो महीनों से लोगों को ज़्यादा से ज़्यादा आकर्षित करने के लिए 1 रुपये कर दी गई।
इस नेक काम को करने के लिए एक व्यापारी रंजीत सिंह ने गोयल को यह दुकान दी है। सिंह ने कहा, ” हम किसी से पैसे नहीं लेते हैं। यह दान के लिए है और यहाँ तक कि डिजिटल पेमेंट मोड के माध्यम से भी खुला है लेकिन हमने कभी नकद नहीं लिया है। यहाँ कई लोग नियमित रूप से खाने के लिए आते हैं, जिससे हमें बहुत ख़ुशी मिलती हैं।
उम्मीद है कि इस माध्यम से गरीबों का पेट यूं ही भरता रहे और लोग भी इस रसोई के लिए मदद करते रहें, जिससे यह पुण्य का काम चलता रहे।