यह वारदात सामने है तमिलनाडु के ईट भट्टे की जहां पर करीब हजारों की संख्या में लोग फंसे हुए थे। उन सभी मजदूरों के लिए एक मसीहा बनकर सामने आई 19 साल की मानसी बरिया। उनसे ही बहुत सूझबूझ से काम लिया और ईट भट्टे में फंसे सभी मजदूरों की जान बचा दी।
दरअसल कोविड 19 की वज़ह से लॉकडाउन लगने के कारण तमिलनाडु के बलांगीर जिले एक ईंट भट्टे में काम कर रहें हज़ारों मज़दूर लगभग अपने-अपने घर जाने की उम्मीद छोड़ चुके थे। उस ईंट के भट्टे में फंसे मजदूरों में ही से एक थी मानसी बरीहा, जो अपने पिता के साथ यहाँ फंसी थी। उसे हर दिन 10 से 12 घंटे के दैनिक श्रम के लिए 250 रुपये की औसत मज़दूरी मिलती थी।
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रपोर्ट के मुताबिक़, वह भी लॉकडाउन के बाद अपने घर वापस जाना चाहती थी, लेकिन वहाँ के मालिक ने बाक़ी सभी मज़दूरों के साथ उसे भी जाने नहीं दिया और उसने ये शर्त रखी की वह अपना टारगेट पूरा करके ही अपने घर वापस लौट सकती है वरना नहीं। इसी बात को लेकर मज़दूरों ने 18 मई को विरोध प्रदर्शन किया, उसके बाद मालिक ने आधी रात में उनपर जा”न लेवा हम”ला कर दिया जिससे इस घटना में वहाँ के कई मज़दूर गंभीर रूप से घयाल हो गए।
मानसी ने बताया की, “स्थानीय पुलिस तुरंत मौके पर पहुँची और हमें बचाया। उसके बाद घायल व्यक्तियों को अस्पतालों ले जाया गया। जबकि पुलिस ने एक गुंडे को गिरफ्तार भी कर लिया। लेकिन वहाँ ईंट भट्ठा का मालिक मुन्नुसामी तुरंत फ़रार हो गया।”
उसके एक सप्ताह के भीतर ही स्थानीय प्रशासन और पुलिस के द्वारा तिरुवल्लूर के 30 ईंट भट्ठों में क़ैद रखे गए 6,750 मजदूरों को बचाया गया। बताया जा रहा है कि मज़दूर ओडिशा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के थें और इस प्रकार मानसी की प्रेजेंट ऑफ माइंड और हिम्मत से इतने सारे मज़दूरों को वहाँ से आज़ादी मिल सकी।