Home / समाज / क्या होता है काला जादू और यह कैसे काम करता है, क्या आपके परिवार में कोई काला जादू का शिकार हुआ है

क्या होता है काला जादू और यह कैसे काम करता है, क्या आपके परिवार में कोई काला जादू का शिकार हुआ है

आपने सुना होगा की कई लोग आपने दुश्मनो पर या जलन में आकर आपने सेज सम्भंदियो पर काला जादू या फिर टोना टोटका करवा देते है जिनका परिणाम घातक भी हो सकता है। हम आपको आज काला जादू के बारे में बतायंगे और यह काम कैसे करता है उसके बारे में और इसके क्या क्या परिणाम हो सकते है

काले जादू का नाम सुनकर ही लोग दहशत में आ जाते हैं। इसे तांत्रिक विद्या और बुरी शक्तियों की निशानी माना जाता है। यह होता तो जादू यानी कि एक प्रकार का मैजिक ही है, पर इसका प्रयोग लोगों को परेशान करने, नुक़सान पहुँचाने, मारने के लिए किया जाता है इसलिए इसे काला जादू कहा जाता है।

वशीकरण, मूठ विद्या, भूत प्रेत, मारण, उच्चाटन आदि ऐसी ही अन्य सभी तांत्रिक विद्या काले जादू के अंतर्गत आती हैं। कुछ ऐसे संकेत होते हैं जिनसे यह पता लगाया जा सकता है, पूजा पाठ और ख़ुद की सकारात्मकता को बढ़ा कर इससे बचा भी जा सकता है। आइये जानते हैं काले जादू से जुड़े कुछ अन्य बातें।

कुंडली में दोष होने पर असर करता है जादू
ग्रहों की चाल के कारण कई बार कुंडली में दोष उत्तपन्न हो जाता है और यही वह समय है जब काले जादू का असर हो जाता है। अगर सूर्य, चंद्रमा शनि और मंगल किसी भाव में राहु केतु से पीड़ित हैं तो नकारात्मक ऊर्जा अपना असर दिखाने लगती है। किसी भी ग्रहण के दिन काले जादू का असर दुगना हो जाता है।

खाने की चीजों से बनाया जाता है पुतला
माना जाता है कि काले जादू का सबसे अधिक फैलाव बंगाल में है, पर यह सच नहीं है भारत से अधिक काला जादू अफ़्रिका में सक्रिय है। इस प्रक्रिया में खाने की चीजों जैसे कि उड़द की दाल, बेसन और आते का प्रयोग करके एक पुतला नुमा तैयार किया जाता है। फिर जिस पर काला जादू करना है उसका नाम लेकर मंत्र पढ़ते हुए इस पुतले में जान डाली जाती है।

1847 में हुआ एरजूली देवी का प्राकट्य
काले जादू को वूडू के नाम से जाना जाता है। अफ्रीका को इसका शुरुआती मूल माना जाता है। यहाँ सन 1847 में एरजूली नाम की एक देवी पेड़ पर प्रकट हुई थी। उन्हें प्रेम की देवी माना जाता था, उन्होंने अपनी शक्तियों से बीमार लोगों को ठीक किया, पादरियों ने इसे परमेश्वर की निंदा कहते हुए उस पेड़ को कटवा दिया। पर लोग इस देवी की मूर्ति बना कर उसकी पूजा करने लगे।

होने लगा ग़लत इस्तेमाल
पहले वूडू का इस्तेमाल बीमारियों को सही करने के लिए किया जाता था, इससे लोगों की भलाई की जाती थी परेशानियों का अंत किया जाता था। पर धीरे-धीरे इसका प्रयोग व्यक्तिगत होता गया, इसे काले जादू का नाम दिया गया और इसका ग़लत प्रयोग होने लगा। मृत लोगों की आत्माओं को बुलवा कर अपनी स्वार्थ पूर्ति की जाने लगी।

यह हैं काले जादू के संकेत
यदि किसी व्यक्ति के ऊपर काले जादू का असर है, तो उसके दिल की धड़कन अचानक ही बढ़ जाएगी। वह ख़ुद को मन और मष्तिष्क से कमजोर महसूस करने लगेगा। ऐसे व्यक्ति अकेलापन पसंद करने लगते हैं, बीमार रहने लगते हैं। ऐसे घरों में तुलसी का पौधा अचानक ही सूख जाता है।

नोट-आजकल के समय में काला जादू संभव नहीं है, क्योंकि इसके सही जानकार न के बराबर है। इस लेख को हम सिर्फ एक जानकारी के तौर पर प्रकाशित कर रहे हैं न कि अंधविश्वास को बढ़ावा देने के लिए।