प्रदूषण के कारण आज पूरा देश कई तरह की परेशानियों से जूझ रहा है। एक तरह से हम यह भी कह सकते हैं। कि प्रदूषण एक स्वीट पूजन की तरह है इससे कई चीजें बर्बाद हो जाती हैं फिर चाहे वह ध्वनि प्रदूषण जल प्रदूषण में बहादुरपुर सभी किसी न किसी चीज को हानि जरुर पहुंचाता है यह बहुत बड़ी समस्या बन कर हम सभी देशवासियों के सामने खड़ा है उसी से निपटने के लिए जम्मू कश्मीर की डॉक्टर नाजिया रसूल लतीफा ने पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए। एक नया स्टार्टअप शुरू किया है जिसमें वह प्लास्टिक की बोतलें और वेस्ट मटेरियल से बना रही हैं अपना गार्डन और उनका लक्ष्य है कि वह पर्यावरण संरक्षित कर सकें।
जम्मू की रहने वाली पर्यावरणविद् डॉ. नाज़िया रसूल लतीफी पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए एक इनोवेटिव स्टेप लिया है। जम्मू में प्लास्टिक की बोतलों और वेस्ट मैटेरियल्स से ही बना रही हैं गार्डन और कर रही है पर्यावरण को संरक्षित करने का काम।
Dr. Nazia Rasool Latifi ने जम्मू में प्लास्टिक की बोतलों से जो गार्डन बनाने का काम शुरू किया है, इससे न सिर्फ़ प्लास्टिक प्रदूषण कम हो सकेगा बल्कि वर्टीकल गार्डन के करें पानी की भी बचत होगी। इससे शहर में एक अलग नज़ारा देखने को मिलेगा।
ANI से हुए एक इंटरव्यू के दौरान बातचीत में Latifi ने कहा कि:-“मैंने एक सेमिनार में भाग लिया था जिसके बाद मुझे यह विचार आया। मुझे प्रकृति से प्यार है और मुझे कुछ करने का जुनून था इसलिए मैंने इसकी शुरुआत की। मैंने गांधी नगर में गवर्नमेंट कॉलेज फॉर वीमेन में वर्टिकल गार्डन बनाया था, जिसमें मैं पढ़ा रही थी।” उन्होंने पुलिस पब्लिक स्कूल, जम्मू विश्वविद्यालय में भी एक वर्टिकल गार्डन बनाया है जिसके बाद कई संगठन उनसे संपर्क कर रहे हैं। “
उन्होंने आगे कहा, “इस ड्रिप सिंचाई का उपयोग प्रक्रिया में किया जाता है ताकि पानी की कम मात्रा का उपयोग किया जाए। COVID-19 में जब एक स्वस्थ वातावरण की ज़रूरत है, तब यह एक अच्छी पहल है। मैं इसे स्टूडेंट्स को सिखाती हूँ ताकि आगे वह इसके ज़रिये कमाई भी कर सकें।”
डॉक्टर नाजिया, इस गार्डन को बनाने के लिए प्लास्टिक की बोतलों को पेंट कर सजा देती हैं, जिससे उनके बनाए हुए गार्डन और भी ज़्यादा सुन्दर दिखाई देते हैं। ऐसे गार्डन को यदि आप चाहे तो सिर्फ़ घर के बाहर ही बल्कि घर के अन्दर भी बना सकते हैं। उनका यह इनोवेटिव आइडिया क्रिएटिविटी का एक ज़बरदस्त नमूना है, जो खूबसूरती के साथ-साथ हमारे पर्यावरण का भी संरक्षण करती है।