दुनिया सिर्फ सत्यता पर स्थापित है। वास्तव में, आज भी, पृथ्वी पर कई ऐसे व्यक्ति हैं जो लगातार अपनी विश्वसनीयता का परिचय देते रहते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि हर कोई एक चोर कलाकार या धोखेबाज हो, कुछ ऐसे समूह हैं जो दिखाते हैं कि कुछ ऐसा है जिसे भरोसेमंदता भी कहा जाता है।
ऐसा ही वाकया तब हुआ जब राजेश राठौर नाम के एक शख्स को सड़क के किनारे नौ लाख के कीमती पत्थरों से लदा गट्ठर मिला। पैसों की तंगी से जूझ रहे राजेश ने कुछ देर सोचा कि यह बंडल उनकी बहुत सारी समस्याओं का समाधान कर सकता है, फिर भी पल भर में उसके दिल ने उसे वह पार्सल रखने की अनुमति नहीं दी और 4 दिन के भीतर उसने उस पार्सल को उसके मालिक के पास भेज दिया और दिखाया कि यह वास्तव में क्या है।
वर्तमान समय में राजेश ख़ुद भी कटारगाम हीरा इकाई में लगभग 8 से 10 हज़ार रुपये तक महीना कमाते हैं। लेकिन लॉकडाउन में उनकी मज़दूरी लगभग 6 हज़ार रुपये तक कम हो गई।
Times of India की रिपोर्ट के मुताबिक, “राजेश राठौड़ 25 सितंबर को अपने घर से पैदल ही मिनी बाज़ार जा रहे थे, वहीं चलते हुए उन्हें हीरे का एक बैग दिखा। बैग मिलते ही उन्हें सबसे पहले यह ख़्याल आया कि 30 कैरेट के इस चमचमाते हीरे को बेचकर जो अपनी कई समस्याओं का हल कर सकते हैं। अपने बच्चों को खुशियाँ लौटा सकते हैं तो अपनी पत्नी के लिए भी बहुत कुछ कर सकते हैं।”
Times of India से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ” मैं केवल पैकेट पर लिखे हीरे के टुकड़ों का वज़न और संख्या देख सकता था। मैंने उसी समय अपने सहयोगी से संपर्क किया। उसने मुझसे कहा कि इसे संभाल कर रखो। पहले दिन तो मैंने इसे रख लिया। रात भर मैं इस बारे में सोचता रहा और अगले ही दिन मैंने फ़ैसला किया कि मैं इसे इसके मालिक को लौटा दूंगा और 28 सितंबर को राठौड़ को एक व्यक्ति का फ़ोन भी आ गया, जिसने ख़ुद को पैकेट का मालिक बताया और उसने यह भी कहा कि रूमाल को बाहर निकालते समय पार्सल उसके जेब से गिर गया था।
विरदिया यानी पार्सल वाले ने कहा, “मैं राठौड़ की ईमानदारी से बेहद प्रभावित हुआ। अगर राजेश राठौड़ जी ने पैकेट मुझे नहीं लौटाया होता, तो मुझे मालिक को नौ लाख रुपये देने होते।” साथ ही उन्होंने कहा कि मैं उनका ज़िंदगी भर शुक्रगुज़ार रहूंगा जिनकी वज़ह से मैं 9 लाख रुपए देने से बच गया, जो मेरे लिए कभी संभव नहीं था। “
सलाम है ऐसे लोगों को जो अपनी ईमानदारी के साथ-साथ दूसरों की ज़िन्दगी भी दांव पर लगने से बचा लेते हैं।