पुराने बुजुर्गों ने कहा है कि आपको जिंदगी हर पल कुछ न कुछ नहीं बस सिखाती है कभी अच्छी तो कभी बुरी क्योंकि हीरा बनने के लिए भी आपको काफी तकलीफ और रगड़ का सामना करना पड़ता है। ऐसे ही अगर आपको दुनिया के सामने चमकना है तो हीरे की तरह धीरे-धीरे घिसना होगा ऐसे ही खबर सामने आई है जहां पर आदित्य कुमार जिन्होंने अपने जीवन में एक है दो बार प्रयास नहीं करा बल्कि पूरे 30 बार असफलताओं का सामना करें। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने अंतिम प्रयास में आईपीएस ऑफिसर बन के सभी के लिए प्रेरणा का एक जरिया बन गए।
IPS आदित्य कुमार (Aditya Kumar) की ज़िन्दगी बहुत ही कठिन परीक्षा से होकर गुजरी है। उनकी जगह कोई और होता तो शायद भाग खड़ा होता लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और कभी भी कोई ग़लत क़दम नहीं उठाया। राजस्थान (Rajasthan) के हनुमानगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव अजीतपुरा के रहने वाले हैं IPS ऑफिसर आदित्य कुमार। इनके माता-पिता दोनों ही शिक्षक हैं। आदित्य का बचपन और उनकी 8वीं तक की पढ़ाई उनके अपने गाँव से ही पूरी हुई। अपनी आगे की शिक्षा उन्होंने भदरा स्थित ज़िला मुख्यालय स्कूल से प्राप्त की है।
2009 में राजस्थान बोर्ड से दी गई अपनी 12वीं की परीक्षा में आदित्य सिर्फ़ 67% थी अंक प्राप्त कर सकें। अक्सर लोग मार्क्स के आधार पर ही बच्चों की आगे की भविष्य तय कर लेते हैं। आदित्य के मार्क्स को भी देखकर लोगों ने उन्हें भी परीक्षा की तैयारी करने से मना कर दिया। लेकिन आदित्य ने किसी भी नकारात्मक बातों पर ध्यान नहीं दिया और वही किया जो उनके मन ने कहा।
एक इंजीनियर बनने का सपना देखने वाले आदित्य को अपने आर्थिक स्थिति का अच्छे से अंदाजा था। उनके पास बहुत ज़्यादा बैकग्राउंड सपोर्ट नहीं था, ना ही पैसे से, ना हीं ज़मीन जायदाद से। उन्हें पता था वह अपने और अपने परिवार की आगे की स्थिति अपने शिक्षा के द्वारा ही बदल सकते हैं। खैर अपनी इंजीनियरिंग के प्रवेश परीक्षा में आदित्य सफल नहीं हो सके।
आदित्य को लेकर उनके पिता की ख़्वाहिश थी कि वह सिविल सर्विसेज की तैयारी करें, क्योंकि उनके पिता भी अपने पढ़ाई के दौरान इसकी तैयारी करते थे लेकिन सफल नहीं हो सके। वह अपने सपने को आदित्य के द्वारा पूरा करना चाहते थे और आदित्य भी अपने पिता को अपना आदर्श मानते हैं। इसलिए उन्होंने इस परीक्षा की तैयारी के लिए आदित्य को पूरा सपोर्ट किया और प्रेरित भी। उन्होंने आदित्य को अच्छी तरह से समझाया कि अगर समाज में कुछ अच्छा बदलाव लाना है तो इसके लिए कुछ अच्छा करना होगा। इन सारी बातों से प्रेरित होकर आदित्य ने भी फ़ैसला कर लिया कि वह सिविल सर्विसेज के क्षेत्र में ही जाएंगे।