ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन का प्रोजेक्ट न केवल बद्रीनाथ तथा केदारनाथ जाने वाले यात्रियों के साथ ही गढ़वाल मंडल के लोगों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका रखता है बल्कि यह सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसी के जरिए भविष्य में सीमावर्ती क्षेत्रों में रेल लाइन पहुंचाने की संभावनाएं पूरी हो सकती है। बता दें कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट से बद्रीनाथ केदारनाथ यात्रा का स्वरूप बदलने में मदद मिलेगी। इस रेलवे लाइन के बनने से बद्रीनाथ तथा केदारनाथ आने वाले यात्री कम समय तथा कम किराए से यात्रा कर सकेंगे। बताते चलें कि इस परियोजना को जल्द से जल्द पूर्ण करने के लिए वर्ष 2025 तक का लक्ष्य रखा गया है। यह रेलवे लाइन राज्य के गढ़वाल मंडल में स्थित 5 जिलों देहरादून, रुद्रप्रयाग, टिहरी, पौड़ी तथा चमोली को जोड़ने का कार्य करेगी।
अब रास्ता होगा इतना आसान।
इस रेलवे लाइन की मदद से यात्री ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक महज 2 घंटे में पहुंच सकेंगे। जिससे यात्रियों को कर्णप्रयाग तथा बद्रीनाथ पहुंचने में काफी कम समय लगेगा। इसके साथ ही कर्णप्रयाग बद्रीनाथ की करीब 4 घंटे की दूरी भी इस रेलवे परियोजना के बाद आधी (2 घंटे) रह जाएगी। बता दें कि अभी ऋषिकेश से बद्रीनाथ जाने में 11 घंटे का समय लगता है जाम आदि की समस्या होने पर समय 11 घंटे से अधिक भी बढ़ जाता है लेकिन इस रेलवे परियोजना के आने के बाद से ऋषिकेश से बद्रीनाथ सिर्फ 4 घंटों में पहुंचा जा सकेगा। उत्तराखंड में बनने वाली रेल परियोजना प्रोजेक्ट की प्रस्तावित लागत लगभग 16216 करोड़ रुपए बताई गई है। 125 किलोमीटर की दूरी कि इस रेलवे परियोजना मे 17 सुरंगो से होकर 105 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन तैयार होगी।
2025 तक पूर्ण होगा कार्य।
इस रेलवे लाइन के बनने से बद्रीनाथ तथा केदारनाथ आने वाले यात्री कम समय तथा कम किराए से यात्रा कर सकेंगे। बताते चलें कि इस परियोजना को जल्द से जल्द पूर्ण करने के लिए वर्ष 2025 तक का लक्ष्य रखा गया है। यह रेलवे लाइन राज्य के गढ़वाल मंडल में स्थित 5 जिलों देहरादून, रुद्रप्रयाग, टिहरी, पौड़ी तथा चमोली को जोड़ने का कार्य करेगी।