पूरे देशभर में जन्माष्टमी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है इस वर्ष भी यह पावन पर्व जल्दी आने वाला है। और सभी लोग बड़े ही हर्षोल्लास के साथ इस्तेमाल का इंतजार कर रहे हैं और इस पावन पर्व के आरंभ होने का प्रतीक्षा कर रहे हैं यहां पर बहुत ज्यादा शुभ और खुशनुमा पर माना जाता है यह बात आप सभी को पता होगी कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था।
भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में मथुरा के राजा कंस के कारागार में देवकी के गर्भ से भाद्र मास की कृष्ण अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में रात की बारह बजे जन्म लिया था. कहा जाता है गर्भ में प्रवेश के दौरान भगवान विष्णु ने प्रकट होकर देवकी और वसुदेवजी को अपने चतुर्भुज रूप के दर्शन कराकर रहस्य की बातें बताई थीं. जी दरअसल उस दौरान उन्होंने कहा, ‘हे माता आपके पुत्र रूप में मेरे प्रकट होने का समय आ गया है. तीन जन्म पूर्व जब मैंने आपके पुत्र रूप में प्रकट होने के वरदान दिया था.’ वहीं तब श्रीकृष्ण भगवान वसुदेव और देवकी के पूर्व जन्म की कथा बताते हैं और कहते हैं कि ‘आप दोनों ने स्वायम्भुव मन्वन्तर में प्रजापति सुतपा और देवी वृष्णी के रूप में किस तरह मुझे प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी. फिर मैंने तीन बार तथास्तु कहा था इसलिए मैं आपके तीन जन्म में आपके पुत्र के रूप में प्रकट हुआ. पहले जन्म में वृष्णीगर्भ के नाम से आपका पुत्र हुआ.
फिर दूसरे जन्म में जब आप देव माता अदिति थी तो मैं आपका पुत्र उपेंद्र था. मैं ही वामन बना और राजा बलि का उद्धार किया. अब इस तीसरे जन्म में मैं आपके पुत्र रूप में प्रकट होकर अपना वचन पूरा कर रहा हूं. यदि आपको मुझे पुत्र रूप में पाने का पूर्ण लाभ उठाना है तो पुत्र मोह त्यागकर मेरे प्रति आप ब्रह्मभाव में ही रहना. इससे आपको इस जन्म में मोक्ष मिलेगा.’ इस बात को सुनकर माता देवकी ने कहा ‘हे जगदीश्वर यदि मुझमें मोक्ष की लालसा होती तो उसी दिन में मोक्ष न मांग लेती! नहीं प्रभु, मुझे मुक्ति नहीं चाहिए. मुझे तो आपके साथ मां बेटे का संबंध चाहिए. यह सुनकर प्रभु प्रसन्न हो जाते हैं. फिर माता देवकी कहती हैं कि इस चतुर्भुज रूप को हटाकर आप मेरे सामने नन्हें बालक के रूप में प्रकट हों. मुझे तो केवल मां और पुत्र का संबंध ही याद रहे बस. तब श्रीकृष्ण कहते हैं तथास्तु.’