भूलकर भी अपने जीवन में तुलसी के पौधे के पास नहीं रखें यह पांच चीजें ,वरना पूरे जीवन भर आर्थिक तंगी से परेशान रहेंगे

हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है लोग इसे मां लक्ष्मी का स्वरूप मानते हैं। यह पौधा अनेक औषधियों का निर्माण करता है तथा लोगों के बीच इसकी बहुत ज्यादा मान्यता है पौराणिक काल में कहा गया है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु का विवाह तुलसी माता के साथ हुआ था और यह बहुत ही ज्यादा पर्व था।

शास्त्रों के अनुसार जिस घर में तुलसी का पौधा हरा भरा रहता है उस घर में सुख समृद्धि का वास रहता है। भगवान विष्णु की या उनके किसी भी अवतार स्वरूप की पूजा तुलसी पत्र चढ़ाए बिना अधूरी मानी जाती है। भगवान विष्णु को तुलसी बहुत अधिक प्रिय है इसलिए माना जाता है कि हिन्दू परिवार में तुलसी का पौधा होना ज़रूरी है। यदि आपके घर में भी तुलसी का पौधा है तो उसके आस-पास भूल कर भी इन पाँच चीजों को न रहने दें।

अशुद्धता से रखना चाहिए दूर

इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि तुलसी का पौधा जिस जगह है वह जगह साफ़ सुथरी हो। यदि तुलसी के पत्ते मुरझा कर नीचे गिर जा रहे हों तो इसका कारण अशुद्धता भी हो सकती है।

तुलसी के पास नहीं रखना चाहिए झाड़ू

तुलसी के पौधे के पास भूल कर भी झाड़ू या जूते चप्पल नहीं रखना चाहिए। कई लोग तुलसी के पौधे को अन्य पौधों के साथ ही लगा देते हैं ऐसा करने से भी बचना चाहिए। दूध मिश्रित जल तुलसी में चढ़ाने से तुलसी का पौधा स्वस्थ रहता है।

रात में नहीं देना चाहिए जल

कई लोग शाम समय जब तुलसी में दीपक जलाते हैं तो उस समय भी जल देते हैं, शाम के समय तुलसी को जल देना शुभ नहीं माना जाता है। तुलसी के पौधे के पास जल से भरा हुआ पात्र भी नहीं रखना चाहिए और रोजाना दीपक बुझ जाने के बाद हटा देना चाहिए।

खुले केश नहीं जाना चाहिए तुलसी के पास

अक्सर स्त्रियाँ नहाने के बाद खुले बालों के साथ ही जल देने तुलसी के पास आ जाती हैं जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। भगवान विष्णु ने तुलसी को सदा सुहागन रहने का वरदान दिया है और इसलिए उन्होंने इसे अपने सिर पर स्थान दिया है। बाल बाँध कर माँग में सिंदूर लगा कर ही तुलसी के पौधे को जल देना चाहिए इससे सौभाग्य  में वृद्धि होती है।

चुनर का भी रखें ख्याल

कई घरों में तुलसी के पौधे पर चुनर चढ़ा के रखा जाता है। लेकिन चुनर पर ध्यान नहीं दिया जाता, कुछ समय बाद चुनर पुरानी हो जाती है और इसी कारण फट जाती है। इसलिए एकादशी या किसी अन्य शुभ दिन पर तुलसी जी की चुनर को बदल देना चाहिए।

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