हिन्दू धर्म में की जाने वाली पूजा अर्चना का विशेष महत्व माना जाता है । जिस प्रकार नवरात्रों में नौ देवियों के पूजन को अनिवार्य माना गया है उसी प्रकार हवन यज्ञ को भी हर पूजा कार्य में अनिवार्य माना गया है । हवन जिससे आमतौर पर यज्ञ के नाम से भी जानते है, के बारे में शास्त्रों में कहा गया हैं कि घर परिवार और वातावरण की शुद्धिकरण करने के लिए किया जाने वाला महत्वपूर्ण कर्मकांड है यज्ञ ।
हवन में बेल, नीम, कलींगज, आम की लकड़ी, पीपल की छाल, पलाश का पौधा, देवदार की जड़, बेर, कपूर, शकर जौ, चावल, चंदन की लकड़ी को अग्नि में डाला जाता है, जिससे निकलने वाले धुएं से वातावरण उत्तम होता है। ये सभी सामग्रियां सेहत के लिए लाभदायक है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, हवन में गोबर के बने उपलों का उपयोग होता है जिनसे 94 प्रतिशत जीवाणुओं का नाश हो जाता है। इसके अतिरिक्त हवन करने से कई हानिकारक रोगों से निजात प्राप्त होता है।
ग्रह दोष से छुटकारा मिलता है:-
यदि किसी मनुष्य के जीवन में ग्रह दोष की परेशानी है तो हवन करना चाहिए। हवन करवाने से ग्रहों की दशा शांत होती है। ग्रह से जुड़े वार के दिन संकल्प करके ग्यारह या इक्कीस व्रत रखकर होम करके पूर्णाहुति देने से सभी दुख दूर हो जाते हैं। हवन पूजा होने के पश्चात् ब्रह्माणों को खाना खिलाएं। तत्पश्चात, धन और वस्त्रों का दान करें।
वास्तु दोष को दूर करता है:-
वास्तु शास्त्र के मुताबिक, हवन पूजा कराने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का असर बढ़ता है। घर बनाने के चलते वास्तु दोष को दूर करने के लिए हवन किया जाता है। घर बनाने में किसी प्रकार का कोई वास्तुदोष न रह जाएं। इसलिए निर्माण से पहले शुभ मुहूर्त में भूमि पूजन तथा शिलान्यास की उपसना की जाती है। इसके पश्चात् घर बनने के पश्चात् गृह प्रवेश की पूजा की जाती है। जिससे आंतरिक तथा बाहरी वातावरण शुद्ध और पवित्र बना रहे।