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साल के इस दिल से शुरू हो जाएंगे सभी शुभ कार्य जानिए क्या है इसका महत्त्व ….

यह बात तो आप सभी को पूर्ण रूप से ज्ञानी होगी है कि हिंदू धर्म में त्यौहार तथा अतिथियों का बहुत ही अहम योगदान होता है। तथा बिना एमपी संज्ञान ले किसी भी कार्य को नहीं किया जाता है ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक सक्रांति के पावन अवसर पर सूर्य ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है प्रत्येक वर्ष के 14 अप्रैल को मेष सक्रांति आती है। इस पर्व को उत्तर भारत के व्यक्ति हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं। इसे सत्तू संक्रांति तथा सतुआ संक्रांति भी बोलते हैं। शास्त्रों के मुताबिक, इस दिन खारमास का समापन होता है। इस दिन के पश्चात् से शादी, गृह प्रवेश और जमीन क्रय करने जैसे शुभ कार्यों का आरम्भ होता है। आइए जानते हैं मेष संक्रांति से संबंधित खास बातों के बारे में…

मेष संक्रांति का शुभ मुहूर्त:-

मेष संक्रांति का शुभ मुहूर्त 14 अप्रैल, 2021 को प्रातः 5 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 22 मिनट कर रहेगा।

मेष संक्रांति कि अहमियत:-

हिंदू धर्म में मेष संक्रांति कि खास अहमियत होती है। इस दिन प्रातः उठकर स्नान करने के पश्चात् भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। इस दिन भगवान सूर्य की आरधना करने से सूर्य ग्रह से संबंधित दोषों से छुटकारा मिलता है। भगवान सूर्य की आराधना करने से घर में धन तथा यश का लाभ होता है। इस दिन सत्यनारायण भगवान की आराधना करनी चाहिए। उन्हें सत्तू का भोग लगाया जाता है।

देश में अलग-अलग नामों से जाना जाता है:-

मेष संक्रांति को अलग-अलग प्रदेश में कई नामों से जाना जाता है। मेष संक्रांति को पंजाब में वैशाख, तमिलनाडु में पुथांदु, बिहार में सतुआनी, पश्चिम बंगला में पोइला बैसाख तथा ओडिशा में पना संक्रांति बोला जाता है।

मेष संक्रांति पर करें दान पुण्य:-

मेष संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान करने तथा दान पुण्य करने कि खास अहमियत होती है। इस दिन दान- पुण्य करने से सूर्य भगवान खुश होते हैं। यदि आप पवित्र नदी में स्न्नान नहीं कर सकते हैं तो घर की बाल्टी में गंगाजल डालकर स्नान करें। इस दिन सत्तू खाने से खास फल की प्राप्ति होती है।