Home / खबरे / देहरादून में फिर शुरू हुआ चिपको आंदोलन 11000 पेड़ों की रक्षा के लिए ,लोगों ने कहा बंद करो नहीं तो…………

देहरादून में फिर शुरू हुआ चिपको आंदोलन 11000 पेड़ों की रक्षा के लिए ,लोगों ने कहा बंद करो नहीं तो…………

यह बात तो आप सभी को पता होगी कि उत्तराखंड के निवासी अपनी प्रकृति और संस्कृति के प्रति कितने भावुक हो और संवेदनशील हैं जब कभी भी प्रकृति को नुकसान करने की बात आती है तो वह अपनी जान पर भी खिल जाते हैं कुछ ऐसा ही मामला अब उठ कर आ रहा है हजारों लोगों की भीड़ डाट काली मंदिर के पास प्रदर्शन कर रही है क्योंकि सरकार ने कुछ ऐसा बिल पास करा है जिसमें करीब 11000 से भी ज्यादा पेड़ों की कटाई होनी है उसको लेकर सभी लोग क्रोधित हैं और इस प्रोजेक्ट को रोकने की मांग कर रहे हैं जिसके लिए हजारों से भी ज्यादा संख्या में लोग एकत्रित होकर अपना प्रदर्शन जाहिर कर रहे हैं। कई भीषण आपदाएं झेलने के बावजूद हम विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखना आज तक नहीं सीख पाए। अब देहरादून में ही देख लें। यहां डाटकाली से मोहंड तक एलिवेटेड रोड का निर्माण प्रस्तावित है। इसके लिए 11 हजार पेड़ों को काटने के लिए चिह्नित किया गया है।

इन पेड़ों को बचाने के लिए क्षेत्र की कई संस्थाएं एकजुट हो गई हैं। गांधी जयंती पर इन संगठनों ने ‘चलो मोहंड’ कार्यक्रम आयोजित कर जोरदार तरीके से अपनी आवाज उठाई। संगठनों ने डाटकाली में हाथों में तख्तियां लेकर और पेड़ों पर चिपक कर पेड़ों को काटे जाने का विरोध किया। आंदोलनकारियों ने कहा कि महज 11 मिनट की बचत के लिए देहरादून में 11 हजार पेड़ काटे जा रहे हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं होने दिया जाएगा।

सरकार के इस विनाशकारी कदम का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। एक तरफ तो सरकार वन्यजीवों के संरक्षण पर जोर दे रही है, वहीं राजाजी टाइगर रिजर्व के हजारों पेड़ों को काटकर वन्यजीवों का आशियाना उजाड़ना चाह रही है। हम लगातार विकास के लिए वनों का विनाश कर रहे हैं। बादल फटने की घटना, बाढ़, कोरोना जैसी बीमारी प्रकृति से खिलवाड़ का ही नतीजा है। अब विकास के नाम पर हजारों पेड़ों की बलि ली जा रही है। सरकार की इस मंशा को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। आंदोलनकारियों ने चिपको आंदोलन की तर्ज पर पेड़ों से लिपटकर उन्हें बचाने की शपथ ली। प्रदर्शन में खुशी की उड़ान चैरिटेबल ट्रस्ट, तितली ट्रस्ट, अगास, सिटिजन फॉर दून, डीएनए, डू नो ट्रैश, अर्थ एंड क्लाइमेट इनिशिएटिव, द ईको ग्रुप देहरादून, द फ्रेंड ऑफ दून सोसायटी, फ्राइडे फॉर फ्यूचर, आइडियल फाउंडेशन जैसी संस्थाओं और संगठनों के सदस्यों ने भाग लिया।