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माँ ने मजदूरी कर बेटे को पढ़ाया , बीटा बना IAS अफसर

गरीबी इंसान को कुछ बनने से नहीं रोक सकती अगर इच्छाशक्ति हो कुछ करने की , अपने हालातो को सुधरने की तो आपको आपकी मंज़िल पाने से कोई नहीं रोक सकता , अरविंद कुमार मीणा (Arvind Kumar Meena) भी उन्हीं प्रतिभावान छात्रों में से एक हैं जिन्होंने इतनी ग़रीबी में रहने के बावजूद भी अपनी मेहनत और तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ी और जब 2019 में हुए यूपीएससी परीक्षा का परिणाम 4 अगस्त 2020 को घोषित हुआ तो उसमें अरविंद का नाम भी आया, जिससे उनके घर में खुशियों की लहर दौड़ गई।

बचपन में ही छीन गया पिता का साया

मूल रूप से राजस्थान में जन्मे और पले बढे अरविंद जिनके बचपन में ही पिता का साया इनके सिर से उठ चुका था। जिसके बाद तो उनके परिवार की आर्थिक स्थिति और खराब हो गई। लेकिन फिर भी इनकी माता हिम्मत से काम लेते हुए दैनिक मजदूरी करना शुरू की, जिससे इनकी पढ़ाई लिखाई में कोई कमी ना रह जाए। इनकी माता ने अपना पूरा ध्यान अरविंद के पढ़ाई लिखाई पर लगाना शुरू कर दिया।

मां के साथ मिट्टी के घर में रहा करते थे
अरविंद का घर कोई पक्के का मकान नहीं था, बल्कि को एक मिट्टी के बने घर में अपनी माँ के साथ रहते थे। मिट्टी का मकान होने के वज़ह से जब भी बारिश आती तो इनका घर पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो जाता था। इतना कुछ होने के बावजूद भी इनकी माँ पढ़ाई के लिए इन्हें हमेशा प्रोत्साहित करती रहती।

IAS बनने से पहले सशस्त्र सीमा बल में थें तैनात
अरविंद ऐसे छात्रों में है जिन्हें कभी बहुत ज़्यादा सुख सुविधाएँ नहीं मिल पाई। लेकिन फिर भी अरविंद हमेशा अपनी पढ़ाई पर ध्यान देते रहे। शुरू से ही पढ़ाई में अव्वल रहे अरविंद यूपीएससी में सफलता पाने से पहले सशस्त्र सीमा बल में सहायक कमांडेंट के रूप में नियुक्त भी हुए थे और एक जैसी नौकरी की वज़ह से इनके परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरी। नौकरी मिलने के बाद भी इनका एक ही सपना था और वह सपना था आईएएस बनना और इसी वज़ह से अरविंद नौकरी करने के साथ-साथ परीक्षा की तैयारी भी जारी रखें।

यूपीएससी की परीक्षा में 12 वीं रैंक हासिल किए
अरविंद 2019 में सिविल सेवा की परीक्षा में शामिल हुए और परिणाम आने पर इन्होंने ऑल इंडिया 676 वीं रैंक प्राप्त किया। चुकी अरविंद बीपीएल श्रेणी में आते थे इसलिए उन्हें एसटी कैटेगरी में 12 वीं रैंक प्राप्त हो सका।

मां ने कहा IAS बन मेरी सारी तकलीफ़ दूर कर दी
UPSC का परिणाम घोषित होने के बाद जब इनका सपना सच हुआ तब यह ख़ुशी से झूम उठे और इनकी माँ को ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं था। उनकी आंखों में ख़ुशी के आंसू आ गए और उन्होंने अपने बेटे को आशीर्वाद देते हुए कहा, “मेरे अरविंद ने मेरी सारी तकलीफ़ IAS बन कर दूर कर दी।”

इन्होंने अपने मेहनत के दम पर सफलता की एक नई शुरुआत कर दी है, जिनसे इनका और इनके परिवार का अंधकार मय जीवन पूरी तरह से रोशनी से भर गया है।