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अनोखी खबरः टिहरी का गंगी गांव, जहां आज तक लोग बीमार होने पर नहीं खाते है दवा, जड़ी- बूटियों से करते है इलाज

उत्तराखंड का अपना इतिहास रहा है। यहां एक हर गांव की अपनी परंपरा और संस्कृती है। भले ही उत्तराखंड के गांव पलायन का दंश झेल रहे हो लेकिन आज भी कुछ लोग है जो अपनी परपंरा और संस्कृती को संजोय हुए है। इन्ही गांव में से एक गांव है गंगी गांव । ये गांव टिहरी जिले है। इस गांव की खासियत ये है कि आज तक इस गांव के लोग बिना दवा के बिमारियों को मात दे रहे है।

जी हां गंगी गांव के लोग  लोग वर्षों से जड़ी- बूटियों से अपना इलाज कर रहे हैं। यह लोग आज भी बीमार होने पर दवा नहीं खाते हैं । गंगी गांव में ऐसी दुर्लभ जड़ी-बूटियों का खजाना है जो कहीं और नहीं पाया जाता है। इन्ही जड़ी बूटियों से लोग अपना और अपनो का इलाज करते है। खास बात यह है कि इस गांव के लोग कोरोना वायरस फैलने के बाद भी अंग्रेजी दवा का न के बराबर सेवन किया. इन लोगों ने इन्ही जड़ी- बूटियों से अपना इलाज किया और ठीक हो गए।

आपको तो मालूम ही है कि उत्तराखंड के पहाड़ों में जड़ी बुटियों का खजाना सदियों से है। भले ही पहाड़ पर आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. लेकिन प्राकृतिक खूबसूरती और दुर्लभ जड़ी- बूटियों का यहां खजाना है। यहां अतीस, कूट, कुटकी, चिरायता, छतवा, और सिंगपरणी जैसी दुर्लभ जड़ी- बूटियां होती हैं जो बुखार, खांसी, पेट से संबधित बीमारी, सूगर और लीवर से संबधित बीमारियों में काफी फायदेमंद हैं।

ये गांव नई टिहरी जिला मुख्यालय से करीब 120 किलोमीटर की दूरी पर बसा है यहां करीब 150 की आबादी है।गंगी के लोगों की आजीविका का साधन मुख्य रूप से खेती और पशुपालन है। लेकिन सरकार की अनदेखी के चलते आज गंगी क्षेत्र उपेक्षा का भी शिकार हो गया है और विकास से पिछड़ता जा रहा है.।