Home / ज्ञान / जीवन में भूल कर भी शनिवार के दिन इन 8 चीजों को न करें भेंट ,नहीं तो भुगतना पड़ सकता है बहुत ही बुरा परिणाम

जीवन में भूल कर भी शनिवार के दिन इन 8 चीजों को न करें भेंट ,नहीं तो भुगतना पड़ सकता है बहुत ही बुरा परिणाम

भगवान शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है वह बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली भगवानों में से एक हैं। शनिदेव व्यक्ति के कर्मों के अनुसार ही उसका फल उन्हें प्रदान करते हैं। तथा उनके जीवन मरण का निर्णय लेते हैं शास्त्र ग्रंथों के मुताबिक शनिवार के दिन शनि देव की उपासना के लिए ही निर्धारित किया गया है। इस दिन अगर कोई भी व्यक्ति सच्चे मन और श्रद्धा के साथ शनिदेव की पूजा अर्चना करता है तो उसके जीवन के लगभग सभी कष्ट दूर हो जाते हैं तथा उस वक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वैसे तो शनिदेव सरलता से खुश होने वाले भगवान हैं पर क्या आप जानते हैं कि शनिवार के दिन कुछ चीजों का उपहार देना शनिदेव को क्रोधित कर सकता है। आइए जानते हैं उन चीजों के बारे में…

चॉकलेट:- ऐसा कहा जाता है कि शनिवार के दिन किसी को चॉकलेट देने से उस मनुष्य का मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है।

मोती:- शनिवार के दिन किसी को मोती भेंट देने से दोनों पक्षों के परिवार को शारीरिक दुर्घटनाओं का संकट हो सकता है जिससे मृत्यु भी हो सकती है।

कैंची:- लोहे या स्टील की कैंची किसी को भेंट देने से रिश्तेदारों के मध्य तनाव के हालात पैदा हो सकते है।

चांदी के आभूषण:- शनिवार के दिन किसी को चांदी के आभूषण देने से परिवार में भारी आर्थिक तंगी आ सकती है।

लाल वस्त्र:- शनिवार को किसी मनुष्य को लाल वस्त्र भेंट करने से समाज में उसका मान-सम्मान कम हो जाता है।

चमेली का इत्र:- ज्योतिष के मुताबिक, शनिवार के दिन चमेली का इत्र किसी मनुष्य को भेंट देने से मनुष्य बीमार पड़ सकता है तथा उसकी मृत्यु भी हो सकती है।

धातु के बर्तन:- हिंदू शास्त्र के मुताबिक, शनिवार के दिन किसी मनुष्य को धातु के बर्तन देने शनिदेव क्रोधित होते हैं जिससे कारोबार में भारी हानि का सामना करना पड़ सकता है।

सफेद कपड़े:- शनिवार के दिन सफेद कपड़े का भेंट देने से परिवार में समस्यां आ सकती है। इसके अतिरिक्त पति-पत्नी के रिश्ते में भी तनाव हो सकता है।

हिंदू शास्त्र के मुताबिक, शनिदेव को कई नामों से जाना जाता है। कोणस्थ, पिंगल, बभ्रु, कृष्ण, रौद्रान्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मंद तथा पिप्पलाद जैसे दस नाम हैं। वह सूर्यदेव और छाया माता के पुत्र है। इसलिए इन्हें छायापुत्र भी कहा जाता है।