Home / News / बिलकुल आसान नहीं था नीरज का सफर, जानें इन कड़ी मेहनतो से हासिल कर लिया मेडल !

बिलकुल आसान नहीं था नीरज का सफर, जानें इन कड़ी मेहनतो से हासिल कर लिया मेडल !

दोस्तों आपको तो पता ही है की नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। आज देश को नीरज पर गर्व है! इस बार नीरज देश के हीरो बने हैं और देश विदेश से बधाई का पात्र है। नीरज के भारत लौटते ही उनकी सफलता के साथ-साथ उनके गुड लुक्स की भी काफी तारीफ हो रही है! कोई उनकी तुलना विराट से कर रहा है तो कोई उनकी तुलना किसी बॉलीवुड अभिनेता से कर रहा है।

भारतीय सेना में सूबेदार नीरज चोपड़ा ने 87.58 मीटर का भाला फेंककर ओलंपिक में इतिहास रच दिया। 23 वर्षीय नीरज ने ओलंपिक इतिहास में एथलेटिक्स (ट्रैक एंड फील्ड) में भारत का पहला पदक (स्वर्ण पदक) हासिल किया। यह भारत का 7वां पदक भी था, जो ओलंपिक में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। इससे पहले, भारतीय एथलीटों ने 2012 के लंदन ओलंपिक में 6 पदक जीते थे!

पर क्या आपको पता है कि यह गोल्ड मेडल जीतने तक का नीरज चोपड़ा का सफर कैसा रहा होगा? उन्हें क्या क्या कठिनाइयों से निकलना पड़ा होगा? तो चलो देखते हैं आज की इस पोस्ट में….

नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक की सबसे बड़ी भुजा उनकी कड़ी ट्रेनिंग थी। सूत्रों के मुताबिक गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा ने पिछले 5 साल में 1617 दिनों की कड़ी ट्रेनिंग ली है। इसमें यूरोप में 450 दिनों का प्रशिक्षण भी शामिल है। इस दौरान उन्हें 177 भाले दिए गए। सूत्रों के मुताबिक पिछले पांच साल में उनकी ट्रेनिंग पर कुल 7 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

पर्सनल फिजियो और विदेशी कोच :

नीरज को उनकी जरूरत के हिसाब से विदेशी कोच डॉ क्लॉस बार्टोनिएट्स और पर्सनल फिजियो थेरेपिस्ट भी मुहैया कराया गया। उन्हें केंद्र सरकार के प्रशिक्षण और प्रतियोगिता के वार्षिक कैलेंडर और लक्ष्य ओलंपिक पोडियम योजना (TOPS) में भी शामिल किया गया था और धन की कोई कमी नहीं होने दी गई थी।

लगभग 75 लाख रुपए था जैवलिन थ्रो मशीन का दाम :

विदेश के अलावा, नीरज ने एनआईएस पटियाला (पंजाब) में 1167 दिनों तक प्रशिक्षण लिया। पूरे प्रशिक्षण के दौरान उन्हें 177 भाले और 74.28 लाख रुपये की भाला फेंकने की मशीन दी गई। हालांकि नीरज ने ओलंपिक में देश का नाम रौशन करते हुए सारा खर्चा वसूल कर लिया.

सूत्रों का कहना है कि भारत सरकार एथलीटों पर होने वाले खर्च को निवेश मानती है और सौभाग्य से टोक्यो ओलंपिक में इस निवेश ने अच्छा रिटर्न भी दिया है। सरकार खेलों के लिए जमीनी स्तर पर काफी काम कर रही है। Play India विभिन्न योजनाओं के तहत हर आवश्यक कदम उठा रहा है, ताकि देश को खेलों में अग्रणी देशों के बराबर लाया जा सके।