Home / News / मेजर ध्यानचंद birthday : एक ‘सिपाही’ से ‘हॉकी के जादूगर ‘ बनने के सफर तक की पूरी कहानी, जानिए इनकी पूरी बायोग्राफी..

मेजर ध्यानचंद birthday : एक ‘सिपाही’ से ‘हॉकी के जादूगर ‘ बनने के सफर तक की पूरी कहानी, जानिए इनकी पूरी बायोग्राफी..

मेजर ध्यानचंद के बारे में :

 

हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद के संगम नागरी में एक राजपूत परिवार में हुआ था । उन्हे लोग प्यार से दद्दा कह कर बुलाते थे ।ध्यान चंद जी के दो भाई थे – मूल सिंह और रूप सिंह और उनके छोटे भाई रूप सिंह भी भारत की और से हॉकी खेल चुके है । उनके पिता का नाम रामेश्वर सिंह तो माँ का नाम शरद सिंह है । ध्यान चंद जी के पिता ब्रिटिश भारतीय सेना मे भर्ती हुए थे और उन्होंने सेना की और से हॉकी खेली थी । उमके पिता आर्मी मे होने के कारण उनके ट्रैन्स्फर की वजह से ध्यान चंद जी के पिता को विभिन्न शहरों मे जाना पड़ता था । इसकी वजह से ध्यान चंद जी को स्कूली शिक्षा के छह साल बाद जी अपनी शिक्षा समाप्त करनी पड़ी ।

उसके बाद आखिर कर परिवार उत्तरप्रदेश के झांसी मे आकार सेटल हो गया । उसके बाद ध्यान चंद जी साल 1932 में विक्टोरिया कॉलेज, ग्वालियर से अपना ग्रैजवैशन पूरा किया । आपको यह बात जानकर हैरानी होगी के, ध्यानचंद जी को शुरू शुरू में खेलों के प्रति कोई लगाव नहीं था । वोह सिर्फ कुस्ती से प्यार करते थे । उन्होंने कहा था की उन्हे यह याद भी नहीं है की , सेना में भर्ती होने से पहले उन्होंने काभी खास हॉकी खेली थी । बल्कि वह कहते है की वह कभी कभी अपने दोस्तों के साथ झांसी मे हॉकी खेल करते थे ।

 

ज्यादा समय तक सेना से जुड़े रहे मेजर ध्यानचंद जी :

 

उनके 17 वे जन्मदिन 29 अगस्त 1922 को मेजर ध्यानचंद को ब्रिटिश सेना मे भर्ती किया गया । ध्यानचंद जी को आखिर भारतीय सेना टीम के लिए चुना गया । ये सेना न्यूज़ीलन्ड दौरे के लिए थी । भारतीय टीम ने इस दौरे पर शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल 18 मैच जीते तो 2 मैच ड्रॉ रहे और सिर्फ एक मैच मे उन्हे हार का सकमन करना पड़ा । 1927 में भारत लौटकर ध्यानचंद जी को लांस नायक के पद पर प्रमोट किया गया । ध्यानचंद 1922 से 1956 तक सेना से जुड़े रहे । आखिर में मेजर ध्यानचंद जी 1956 में मेजर के पोस्ट से रिटाइर हो गए ।

 

मेजर ध्यानचंद जी का करियर :

1928 के समर ओलिम्पिक में मेजर ध्यानचंद जी को भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया । उस दौरान भारत ने इस ओलिम्पिक में हॉकी का सुवर्ण पदक जीत था और मैच में ध्यानचंद ने दो गोल किए थे

 

समर ओलंपिक के फाइनल 1936 में भारत ने जर्मनी को 8-1 से हराया । उसके बाद जर्मन सरकार द्वारा ध्यानचंद जी को कर्नल पद की पेशकश भी की गई लेकिन ध्यानचंद ने इसे मना कर दिया। ध्यान चंद ने उम्र के 42 साल तक खेलना जारी रखा। उसके बाद 1948 में हॉकी से रिटायर हुए। साल 1956 में मेजर ध्यानचंद को भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया । 29 अगस्त को ध्यानचंद जी के जन्मदिन के दिन भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। मेजर ध्यानचंद का 3 दिसंबर 1979 को उनका निधन हो गया।