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“पेंटिंग वाली दादी” के नाम से है प्रसिद्ध, 100 वर्ष की उम्र में भी लोगों के लिए हैं आत्मनिर्भरता की मिसाल

अगर आप अपने जीवन में किसी भी व्यक्ति से पूछेंगे कि वह 100 वर्ष की उम्र में क्या करना चाहेगा तो तो उसका सीधा सा जवाब नहीं होगा कि उस वक्त उसकी स्थिति कुछ करने लायक ही नहीं बची होगी जिसमें से कुछ व्यक्ति आपको ऐसे भी मिलेंगे जो सीधा जाकर देंगे कि उन्हें अपने जीवन में 100 वर्ष तक जीवन जीने की कोई उम्मीद ही नहीं है लेकिन अगर हम आपसे कहे कि 100 वर्ष की उम्र में भी एक महिला ऐसी है भारत देश में जो खुद का कारोबार चला रहे हैं तो आप में से कुछ लोगों को इस बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं होगा लेकिन यहां बात पूछ सकते हैं और ऐसे ही महिला हमारे देश में मौजूद है जो 1920 में केरल में जन्म लिया था उन्होंने पंडयेवाति साड़ियों पर पेंटिंग करने का कार्य करा करती थी और अपने जीवन में उन्हें अपने कार्य से बहुत ही ज्यादा प्रेम और लगाव था।
100 वर्ष की उम्र में भी पंड्या वती जी हर रोज लगभग 3 घंटे कार्य करती हैं और अपने जीवन में स्वयं के लिए सेट करा हुआ टारगेट को पूरा करती हैं उनका मानना है कि मनुष्य को अपने जीवन में उम्र के किसी भी पड़ाव पर सक्रिय बने रहना चाहिए और अपने जीवन को व्यस्त रखना चाहिए और जीवन में सुखी रहने के लिए कभी भी दूसरे के जीवन में ज्यादा दखल अंदाज ही नहीं करनी चाहिए उन्हें अपने काम से काम रखना चाहिए और जीवन जीने का आनंद लेना चाहिए इसी से एक व्यक्ति को सर संतुष्टि मिलती है उनका मानना है कि इसीलिए वह अपने कार्य में इतना व्यस्त रहते हैं अपनी उम्र के इस पड़ाव पर भी ।

कुछ इस प्रकार है पंड्याजी का रोजाना का दिनचर्या

पद्मावती जी अपने जीवन में रोजाना 5:30 से 6:30 के बीच में अवश्य ही उठ जाती हैं। उन्हें आदत है चाय के साथ अखबार पढ़ने की उसके बाद लगभग 10:30 बजे तक वहां शुरू कर देती हैं काम साड़ियों पर पेंटिंग करने का पूरे लगन और मेहनत के साथ वहां अपने रोजाना के टारगेट को पूरा करती हैं और फिर अपने 3 घंटे के कार्य को पूरा करने के बाद ही वह अपने टेक्स्ट को छोड़ती हैं।

परिवार के साथ के कारण ही अपने काम को मुमकिन कर पाती हैं

दादी बताती हैं कि उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत में कुछ ज्यादा काम नहीं करा था लेकिन उनकी बहू और वीडियो ने उन्हें बहुत प्रोत्साहित करें और उनके जीवन में ज्यादा कार्य करने की प्रेरणा दी उनकी बेटी और बहू ने उनको साड़ी पर पेंटिंग करने का सभी वह सामान मुहैया कराए जिससे उन्हें जरूरत थी दादी ने बताया कि उनका जीवन बेहद सुखद बीत रहा है और उनके कुल 5 बच्चे हैं और 4 नाती पोते भी हैं जो उनसे बहुत ही अधिक प्रेम करते हैं और उनका खुद से भी ज्यादा सम्मान करते हैं उनकी बेटी ने बताया कि दादी कभी भी अपने द्वारा कमाए गए धनराशि को अपने ऊपर खर्च नहीं करती वह सभी धनराशि को अपने नाती और पौधों पर निछावर कर देते हैं

सभी को प्रेरित करते हैं दादी आत्मनिर्भर बनने के लिए

100 वर्ष की आयु तक आकर भी दादी अपने सभी कार्य खुद ही करते हैं और इस जीवन के अंतिम चरण में भी वह नई नई चीजें सीखने का जोश और जुनून रखती हैं चाहे वह फोन का इस्तेमाल हो यह फिर सोशल मीडिया पर किस तरीके से एक्टिव रह जाता है यह बात सुनकर आपको आश्चर्य होगा कि दादी तकनीकी माध्यमों से पूर्ण रूप से भलीभांति परिचित हैं उनका मानना है कि हमें खुद पर ही निर्भर होना चाहिए हमेशा ही यही सीख हमेशा ही अपने बच्चों को भी देती रहती हैं तथा उन्हें हमेशा ही आत्मनिर्भर बनने के लिए जीवन में प्रयोग करते हैं।